कृतिदेव यहां राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट
पंजीयन क्र. 236/बी-121/07-08 दिनांक-21.8.2008
स्टेट बैंक आफ इण्डिया खाता संख्या-30491671464,आयकर च्।छ दवण्3821 पी
केन्द्रीय कार्यालय
म.नं.2/234, आनन्द भवन, सहकारी दाल मिल के पीछे, सिहोरा, जिला-जबलपुर, मध्यप्रदेश-483225
फोन नं.-07624-230685, मोबा.नं.-09424767707,
नियमावली
1. ट्रस्ट का नाम - ट्रस्ट का नाम राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट होगा।
ट्रस्ट की प्रकृति - धर्मार्थ ट्रस्ट
2. ट्रस्ट का कार्यालय :- ट्रस्ट का कार्यालय - म. नं. 2/234, आनंद भवन, सहकारी दाल मिल
के पीछे, सिहोरा, जिला जबलपुर (म.प्र.), भारत - 483 225 होगा। ट्रस्ट
का कार्यालय आवष्यकतानुसार बदला भी जा सकता है, जिसके लिए
प्रस्ताव पारित किया जाना अनिवार्य होगा। ट्रस्ट की षाखा / षाखाएॅ
आवष्यकतानुसार ट्रस्ट मण्डल के निर्णयानुसार प्रारंभ की जा सकेंगी या
बन्द की जा सकेंगी।
3. ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र :- ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत (अथवा विष्व में जहॉ भी राजभर समाज
स्थित है) होगा।
4. ट्रस्ट की संरचना एवं गठन -
4.1 ट्रस्ट मण्डल - ट्रस्ट के प्रबंध विनिमयों द्वारा ट्रस्ट के कार्यों के प्रबंध के लिए निम्नलिखित
ट्रस्टीगण को उनकी स्वीकृति से ट्रस्टी नियुक्त किया जा रहा है जो परोपकार
और समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर स्वेच्छा से उक्त ट्रस्ट के गठन में
अपनी महत्वपूर्ण सहभागिता दर्ज कर रहे हैं। ये सभी ट्रस्टी गण राजभर
समाज उत्थान अभियान के समर्थक, पोषक एवं राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव
की राष्ट्रवादी विचारधारा के अनुयायी है। ये सभी ट्रस्टीगण इस हेतु वचनबद्ध
हैं कि यह ट्रस्ट राजभर समाज के सर्वांगीण विकास के लिए पूर्णतः समर्पित
रहेगा।
क्र. ट्रस्टियों के नाम पता पदभार व्यवसाय
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1 आचार्य शिवप्रसाद सिंह आनंद भवन, सिहोरा मुख्य ट्रस्टी/ पेंशनर
राजभर जि. जबलपुर, म.प्र. 483 225 अध्यक्ष
2. गोपीलाल चौधरी राजविराज, नगरपालिका-7 सहा.प्रबं. ट्रस्टी पेंशनर
लालजाटोल, जि. सप्तरी, नेपाल उपाध्यक्ष
3. श्री शिवपरसन राय बी-26, कमला नेहरु नगर, ट्रस्टी /सचिव पूर्व कृषि
खुर्रम नगर, लखनउ (उ.प्र.) निर्देशक
4. डॉ. धनेश्वर राय एल-6/192, सेक्टर एम, ट्रस्टी /संयु. संयुक्त
अलीगंज, लखनउ (उ.प्र.) सचिव निदे.
5. श्री अच्छेलाल राजभर ग्राम कछपुरा, पो. गोसलपुर, ट्रस्टी / मलेरिया
तह. सिहोरा, जिला जबलपुर कोषाध्यक्ष इंस्पेक्टर
(म.प्र.) 483222
6 श्री हरिलाल भारशिव म.नं. 20, शंकर कालोनी , ट्रस्टी आयकर
निकट फलाई ओवर चौक, अधि.
ओल्ड डी.सी. रोड, सोनीपत
(हरियाणा)131001
7. श्री जगदीश चौधरी मार्फत-शर्मा खादी भंडार, ट्रस्टी पेंषनर
सिंहेश्वर, जि. मधेपुरा(बिहार)
8. सुबास मास्टर प्रबंधक, शिवम वैष्नो ढाबा, ट्रस्टी व्यवसाय
लोअर माल, पटियाला, पंजाब147001
9. श्री राजेश कुमार सिंह म.नं. 93, श्यामापल्ली कालोनी, ट्रस्टी शा.सेवा
क्रस्टल केम्पस के पास, खजूरी
कलां, पो. पिपलानी, भोपाल, म.प्र.
10. श्री वी.पी. राज बैकुण्ठपुर, भिलाई, जि. दुर्ग (छ.ग) ट्रस्टी शिक्षक
11. श्री बीरबल राम राजभर ग्रा. पो. अनौनी, जि. गाजीपुर (उ.प्र.) ट्रस्टी पेंशनर
12. श्री शिवचंद राम राजभर म.नं. 2003/12, सेक्टर 32-सी, ट्रस्टी पेंशनर
चण्डीगढ़ 160 047
इस ट्रस्ट के अधिकार में अधिकतम (15) एवं न्यूनतम (7) ट्रस्टी होंगे। यह कि उपरोक्त क्रमांक 4.1 की सूची के क्रमांक 1 में अंकित ट्रस्टी मुख्य ट्रस्टी या मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी/अध्यक्ष एवं क्रमांक 2 में अंकित ट्रस्टी सहायक प्रबंधक ट्रस्टी/उपाध्यक्ष कहलायेंगे। उनके साथ अन्य सभी उपरोक्तानुसार इस ट्रस्ट के ट्रस्टीगण कहलाएंगे तथा उन सबका समूह ट्रस्ट मण्डल कहलाएगा।
सामान्य रूप से ट्रस्ट मण्डल का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। हर तीन वर्ष की अवधि पूरी होने पर नये ट्रस्ट मण्डल का गठन होगा किन्तु यदि ऐसा नहीं हो पाता तो उसके बाद अधिकतम छः माह की अवधि के अंतर्गत चुनाव प्रक्रिया पूर्ण कर नए ट्रस्ट मण्डल का गठन कर उसे कार्यभार सौंप दिया जाना चाहिए किन्तु किसी की मृत्यु होने, स्वेच्छा से पद छोड़ने, कदाचार के कारण हटाये जाने या ट्रस्ट मण्डल की संख्या बढ़ाये जाने के लिये बीच में भी चुनाव हो सकते हैं।संस्थापक मण्डल, ट्रस्ट मण्डल, संरक्षक मण्डल एवं सभी श्रेणी के सदस्य सर्वसम्मति से किसी भी ट्रस्टी को आजीवन पद पर बने रहने का सम्मान दे सकते हैं।
4.2 ट्रस्ट मण्डल का चुनाव : ट्रस्टियों का चुनाव करते समय उनकी सम्पन्नता एवं शिक्षा आदि
को मानदण्ड नहीं माना जाएगा अपितु समाज के लिए उनके द्वारा की गई सेवाओं, नम्रता, सेवा
भावना, मिशनरी निष्ठा, समाज के लिए त्याग-भावना, समाज के हर व्यक्ति-समूह के लिए समान
प्रेमदृष्टि, सदाचरण, उदात्त चरित्र आदि का ध्यान रखा जाना परमावश्यक है। ट्रस्ट का कार्य पूरी
तरह पुण्यकार्य से जुड़ा हुआ है। अतएव ट्रस्टीगणों को सम्पूर्ण समाज के हित के लिए वही भूमिका
निभानी होगी जो एक परिवार के कल्याण के लिए माता-पिता निभाते हैं। उनमें यह भावना होनी
चाहिए कि परमात्मा ने अपने आत्म-स्वरुप जनता-जनार्दन की सेवा का अवसर दिया है।
राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र एवं उद्देश्य वह पुण्यधाम है - जहॉ
गृहस्थ जीवनयापन करने वाले महात्मा, पुण्यात्मा गौतम बुद्ध की करुणा, ईसा मसीह की क्षमा,
कबीर के फक्कड़पन, महात्मा गॉधी के समन्वयवाद और भीमराव अम्बेडकर के पिछड़े समाज को
ऊपर उठाने की ललक को बखूबी अंजाम दे सकते हैं। ट्रस्ट में गणनात्मक नहीं वरन् गुणात्मक
व्यक्तित्व एवं पद्धति को अपनाया जाएगा। प्रारंभिक अवस्था में ट्रस्ट मण्डल का चुनाव उपरोक्त
गुणात्मक पहलुओं को पूर्णतः ध्यान में रखते हुए आहूत बैठक में उपस्थित 4(1) में वर्णित ट्रस्ट
मण्डल के सदस्य, 4(3-क) में वर्णित सामान्य सभा के सदस्य 4(4-क) में वर्णित संरक्षक मण्डल के
सदस्य, 4(5-क) में वर्णित समन्वय समिति के सदस्य एवं क्रमांक 15 में वर्णित संस्थापक मण्डल के
सदस्य अथवा संस्थापक मण्डल के किसी भी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर उसका सम्मान बनाए
रखने के लिए उस परिवार से मुख्य ट्रस्टी द्वारा नामजद 4(.4-ख) में वर्णित संरक्षक मण्डल के
सदस्य सर्व-सम्मति से करेंगे एवं यदि आवश्यक हो तो समाज के मार्गदर्शक से मार्ग दर्शन प्राप्त
कर चयन को अंतिम रूप देंगे। निवृतमान ट्रस्टी जिनका वर्णन 4(1) में दिया गया है, यदि वे
संस्थापक मण्डल के सदस्य नहीं हैं एवं किसी कदाचार के कारण पद से नहीं हटाए गये तो
उनको संक्षक मण्डल 4(.4-क) में शामिल किया जायेगा।
संभव है कि पद-लोलुप, धन-लोलुप, चालाक(बंचक) व्यक्ति/व्यक्तिगण ट्रस्ट से लाभ
उठाने के लिए बहुमत जुटाकर ट्रस्ट के महत्वपूर्ण पद/पदों पर आसीन होना चाहें और ट्रस्ट की
मिशनरी भावना को ताक पर रखकर समाज हित की बजाय व्यक्ति-हित साधें। इस दोष को दूर
करने एवं दोष-हीन चुनाव पद्धति बनाने के लिए ट्रस्ट मण्डल सभी सम्मानित सदस्यों से सुझाव
आमंत्रित करेगा एवं ट्रस्ट के पंजीयन के छः माह के अन्दर एक आमसभा/बैठक बुलाकर प्राप्त
सुझावों से उस पद्धति को विधिवत् प्रस्ताव द्वारा स्वीकृत करेगा जो दोष रहित हो या कम से कम
दोषपूर्ण हो एवं विधि-सम्मत भी हो। यह सब इसलिए आवश्यक है ताकि ट्रस्ट के मूल उद्देश्यों
की पूर्ति का गला न घुटे एवं ट्रस्ट लूटपाट का अखाड़ा न बने।
4(3) सामान्य सभा : ट्रस्ट की सामान्य सभा (जनरल बाडी) में निम्नांकित सदस्य शामिल होंगे।
4(3-क) : सामान्य सदस्यों ग्रामीण, सामान्य सदस्यों शहरी, विशिष्ट सदस्यों, अति विशिष्ट
सदस्यों, परम विशिष्ट सदस्यों द्वारा अपनी-अपनी सदस्य श्रेणी से चुने गए
पॉच-पॉच सदस्य।
4(3-ख) : ट्रस्ट के सभी सदस्य।
4(3-ग) : संरक्षक मण्डल के सभी सदस्य।
4(3-घ) : संस्थापक मण्डल के वे सभी सदस्य जो उपरोक्त किसी अनुक्रमांक में शामिल नहीं है।
सामान्य सभा - अनुक्रमांक 4(3-क) में वर्णित सदस्यों द्वारा अपनी सदस्य श्रेणी से पॉच-पॉच
ऐसे सदस्य चुनने होगें जो ट्रस्ट की विचारधारा के अनुयायी हों जो रचनात्मक आंदोलन को गति देने के लिए निर्धारित न्यूनतम अंशदान (नकद अथवा सामग्री) जमा करने के अलावा जिनने नियमित रूप से स्थान भवन की कोई सुविधा ट्रस्ट को दे रखी हो अथवा नियमित समयदान अथवा उल्लेखनीय सेवा दे रहे हों। ऐसे व्यक्तियों की विधिवत् सूची कारण सहित प्रतिवर्ष वित्तीय वर्ष के प्रथम त्रै-मास में ट्रस्ट द्वारा जारी की जायेगी। इस प्रक्रिया में यह भी प्रयास किया जाएगा कि भारत के उन राज्यों के व्यक्तियों को भी प्राथमिकता मिल जहॉ राजभर समाज अधिक संख्या में है।
4(4) संरक्षक मण्डल :
4(4-क) : संरक्षक मण्डल में ऐसे सदस्य होंगे जो ट्रस्ट को राजनैतिक दल-दल से दूर रखने के
प्रति कटिबद्ध तथा वचनबद्ध है एवं ट्रस्ट के रचनात्मक आन्दोलन के प्रति पूरी
आस्था रखते हैं तथा स्व-समाज सेवा से जुड़े रहने के साथ - साथ प्रभाव, विशेषज्ञता
एवं संसाधन की दृष्टि से समर्थ हैं एव न्यूनतम पच्चीस हजार रुपये अनुदान दे सकें।ं
ट्रस्ट मण्डल की सहमति से ऐसे व्यक्तियों को संरक्षक मण्डल में शामिल किया जा
सकता है। ट्रस्ट मण्डल का यह प्रयास होगा कि ऐसे राज्य जहॉ पर राजभर समाज है
उस राज्य का भी प्रतिनिधि हो। यह बात ध्यान में रखते हुए उपरोक्त योग्यता वाले
व्यक्ति को संरक्षक मण्डल में सम्मिलित करे। ट्रस्ट मण्डल ऐसे व्यक्तियों को जिन्हें कि
संरक्षक मण्डल में शामिल कर रहा है - उन व्यक्तियों से उनकी स्वीकृति लेगा।
स्वीकृति/सहमति के उपरान्त ट्रस्ट मण्डल की आगामी बैठक में प्रस्ताव पास कर
उनके नाम संरक्षक मण्डल में सम्मिलित किए जा सकेंगे। इसी प्रकार कदाचार का
दोषी पाये जाने पर नाम हटाये भी जा सकेंगे।
क्रमांक नाम पूरा पता पद/व्यवसाय
4(4-ख) : संस्थापक मण्डल के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर उस संस्थापक सदस्य का
सम्मान रखने के लिए मुख्य ट्रस्टी उस संस्थापक सदस्य के किसी उत्तराधिकारी या
उस परिवार के किसी भी सदस्य को संरक्षक मण्डल की स्थायी सूची में शामिल कर
सकेगा। इस स्थायी सूची में फेर-बदल या पुर्नगठन की स्थिति में यदि उस संरक्षक
सदस्य को अलग किया जाता है तो उस संस्थापक सदस्य के अन्य उत्तराधिकारी,
परिवार के सदस्य का निकट रिश्तेदार को मुख्य ट्रस्टी द्वारा नामजद किया जाएगा।
दोनों ही स्थिति में विधिवत् प्रस्ताव ट्रस्ट मण्डल द्वारा पारित किया जायेगा।
क्र. नामजद संरक्षक पूरा पता व्यवसाय संस्थापक का नाम विषेष
सदस्य का नाम जिसके देहावसान
के कारण सदस्य
नामजद किया गया है
संस्थापक मण्डल एवं ट्रस्ट मण्डल के साथ मिलकर दिशा निर्देश तय करने में संरक्षक मण्डल की
भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
4(5) संयुक्त समन्वय समिति - ट्रस्ट मण्डल द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से सदस्यों का चयन कर एक
संयुक्त समन्वयक समिति का गठन किया जाएगा जो ट्रस्ट के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य-योजना
बनाने, उसे क्रियान्वित करने/कराने तथा समय-समय पर मानीटरिंग एवं समन्वय का कार्य
करेगी। इस समन्वय समिति में निम्नानुसार सदस्य होंगे।
4(5-क) : सामान्य सदस्यों-ग्रामीण, सामान्य सदस्यों-शहरी, विशिष्ट मण्डल सदस्यों, अति
विशिष्ट सदस्यों एवं परम विशिष्ट सदस्यों में से ट्रस्ट मण्डल द्वारा चयनित दो-दो
प्रतिनिधि (कुल दस सदस्य)।
4(5-ख) : ट्रस्ट मण्डल के कम से कम दो सदस्य, रूचि के अनुसार ट्रस्ट मण्डल द्वारा निर्धारित।
4(5-ग) : संरक्षक मण्डल 4(4-क) एवं 4(4-ख) से दो सदस्य, ट्रस्ट मण्डल द्वारा निर्धारित।
4(5-घ) : संस्थापक मण्डल के दो सदस्य ट्रस्ट मण्डल की रूचि के अनुसार निर्धारित। संयुक्त
समन्वय समिति का गठन ट्रस्ट मण्डल की बैठक में प्रस्ताव पारित कर किया जायेगा।
संयुक्त समन्वय समिति का कार्यकाल एक वर्ष होगा। पुराने सदस्य पुर्नगठन प्रक्रिया में
पुनः लिए जा सकेंगे।
5. ट्रस्ट के उद्देष्य : ट्रस्ट के निम्नांकित उद्देष्य होंगे -
5.1 राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव के द्वारा देश, धर्म, समाज एवं संस्कृति की रक्षा के लिए
की गई सेवाओं से राष्ट्रजनों को अवगत कराना एवं राजभर समाज के प्रत्येक व्यक्ति
व परिवार का राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट से जोड़ना या जुड़ने के लिए प्रेरित
करना।
5.2 सदस्यता की निर्धारित श्रेणियों के अनुसार सदस्यों, दान-दाताओं, सरकारी-गैर
सरकारी संस्थाओं से अधिकतम आर्थिक सहयोग(नगद राशि अथवा चल संपत्ति) प्राप्त
कर राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट को आर्थिक रुप से अधिक से अधिक समृद्ध
बनाना एवं सदस्यों द्वारा प्रदत्त मूल सदस्यता राशि अथवा चल-अचल सम्पत्ति को
पूर्णतः सुरक्षित रखते हुए उसके ब्याज अथवा अतिरिक्त आय को राजभर समाज को
हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, धार्मिक,
सांस्कृतिक, स्व-जाति एवं राष्ट्र गौरव के प्रचार-प्रसार अर्थात सूचना-प्रसारण एवं
प्रकाशन आदि क्षेत्रों (जिनका विवरण बिन्दु 5(3)में दिया गया है) में विकास कार्यों में
लगाना। ट्रस्टके किसी भी प्रकार के धन को राजनैतिक क्षेत्र में उपयोग (यथा-किसी भी
स्वजाति, विजातीय नेता या किसी भी राजनैतिक दल को चुनाव फण्ड या अन्य मद में
देना) पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा किन्तु ट्रस्ट या राजभर समाज हित में किसी भी राजनेता
या किसी भी राजनैतिक दल द्वारा उनके सहायता फण्ड से ट्रस्ट को अनुदान में दी
जाने वाली राशि को ट्रस्ट द्वारा स्वीकार किया जाना ट्रस्ट का राजनीतिकरण नहीं
माना जाएगा। इसी प्रकार ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट स्व-समाज हित में अपने किसी कार्यक्रम में
किसी भी राजनैतिक दल के व्यक्ति जो कि किसी भी स्तर पर की विधायिका या
कार्यपालिका से संबंधित हो या किसी भी दल की लोकप्रिय शख्सियत हो को कार्यक्रम
की अध्यक्षता, मुख्य आतिथ्य आदि के लिए बुलाए जाने एवं उस व्यवस्था पर धनराषि
व्यय किए जाने को राजनैतिक क्षेत्र पर व्यय नहीं माना जाएगा।
5.3 सदस्यों द्वारा जमा मूल धन राशि ट्रस्ट मण्डल द्वारा अनुसूचित बैंक या पोस्ट आफिस में
थ्नवेश से ब्याज में प्राप्त धन अथवा चल-अचल सम्पत्ति से प्राप्त अतिरिक्त आय
अथवा दान-दाताओं द्वारा समय समय पर दान में दी गई राशि या अतिरिक्त मदों में
प्राप्त राशि के उपयोग के लिए व्यय एवं व्यय क्षेत्र के मानदण्ड तय करना, व्याख्या
करना एवं सलाह हेतु पृथक-पृथक समिति/उपसमिति गठित करना, उन समितियों/
उपसमितियों द्वारा की गई सिफारिशों की समीक्षा कर कार्य रुप में परिणित करना,
यथा-
षिक्षा क्षेत्र :- संसाधन हीन गरीब एवं प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति, पारितोषक
व्यवस्था, हर स्तर की प्रतियोगिता, परीक्षाओं हेतु प्रशिक्षण व्यवस्था, सलाह अथवा
आर्थिक सहायता, ट्रस्ट द्वारा सभी स्तर के शिक्षण संस्थानों के निर्माण एवं संचालन,
मुख्य रुप से रोजगार परक शिक्षा व्यवस्था, महिला शिक्षा को बढावा देना एवं हर क्षेत्र
में महिलाओं की सहभागिता को बढावा देना अर्थात महिला एवं बाल विकास को
प्राथमिकता देना। गरीब एवं आदिवासी, दलित वर्ग छात्र-छात्राओं को छात्रावास
व्यवस्था।
आर्थिक क्षेत्र :-संसाधन हीन राजभर समाज को अपना जीवन यापन एवं जीवन स्तर सुधारने के
लिये ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के वासियों के स्तर के अनुसार आर्थिक दृष्टि से
स्वावलंबी बनाने हेतु बेरोजगारी दूर करने के संसाधन जुटाना, गॉव में स्थानीय
संसाधनों के आधार पर कुटीर उद्योग स्थापित करना तथा प्रशिक्षण की व्यवस्था करना
अथवा रोजगारोन्मुख कार्यक्रमों में मदद। कृषकों को कृषि से जुड़े धंधों की जानकारी
देकर आय वृद्धि आदि अर्थात प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से गरीबों को रोजी-रोटी, कपड़ा
और मकान उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य।
सामाजिक क्षेत्र :-समाज की गरीब कन्याओं के विवाह हेतु आर्थिक मदद, सामूहिक विवाह
आयोजन, स्वास्थ्य शिविर यथा नेत्रदान, रक्तदान आयोजन, समाज में फैशन, फिजूल
खर्च, बाल विवाह, दहेज, विवाह में अपव्यय, मृतक भोज आदि ढेरों विकृत रीति रिवाजों,
कुरीतियों, मूढ मान्यताओं से मुक्ति दिलाने का प्रयास, उत्कृष्ट समाज सेवियों का
राजभर-रत्न, राजभर भूषण, राजभर बन्धु उपाधि से सम्मान, समाज के सबसे बुजुर्ग
किन्तु स्वस्थ दम्पत्ति का सम्मान आदि। वृद्धाश्रम, विधवा आश्रम, अनाथालय आदि
निर्माण संचालन एवं सुरक्षा। सैनिक विधवाओं को आर्थिक मदद।
स्वास्थ्य क्षेत्र :-चेरीटेबल अस्पताल संचालित कर सर्व समाज के गरीब तबके के लोगों का
स्वास्थ्य सुधार कार्य।
सांस्कृतिक क्षेत्र :- स्व जाति महापुरूषों की जयंती, पुण्यतिथि आदि का आयोजन, ऐतिहासिक
महापुरूषों के नाम पर शिक्षा के विभिन्न विषयों पर पदक आदि की व्यवस्था आदि।
सांस्कृतिक केन्द्रों के माध्यम से प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं गौरव का प्रचार
प्रसार। भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं प्रचार प्रसार।
ऐितहासिक एवं धार्मिक क्षेत्र :-स्व जाति इतिहास, ऐतिहासिक स्थल, हर प्रकार की ऐतिहासिक
धरोहर आदि को सुरक्षित रखने का कार्य, राजभर-शोध संस्थान, पुस्तकालय स्थापना,
स्व जाति महापुरूषों की जन्म स्थली, ऐतिहासिक स्थलों को पुण्य क्षेत्र (धर्म क्षेत्र),
पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करना, स्व-जाति महापुरूषों के प्रति श्रद्धा, विष्वास
एवं आराध्य भावना उत्पन्न करना, यत्र तत्र जनोपयोगी भवनों का निर्माण, महापुरूषों
की प्रतिमाओं की स्थापना आदि। आत्मिक विकास का प्रयास।
प्रचार प्रसार तंत्र एवं लेखन साहित्य सृजन क्षेत्र -
राजभर समाज के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, साहित्यिक, धार्मिक ग्रन्थों का प्रकाशन एवं
विक्रय व्यवस्था, प्रचार प्रसार में योगदान करने वाले प्रकाशनों के प्रकाशन में आर्थिक
एवं प्रचार प्रसार में सहयोग, लेखन में पुरूश्कार की व्यवस्था, साहित्यिक उपाधि प्रदाय
व्यवस्था।
5.4 सरकार अथवा सरकारों, गैर सरकारी / सरकारी संस्थाओं के जन कल्याणकारी कार्यों
में योगदान देना यथा प्राकृतिक आपदाओं, मानव जन्य आपदाओं से निपटने के लिए
सरकारी/गैर सरकारी को हर प्रकार का सहयोग करना। वृक्षारोपण, पर्यावरण शुद्धि में
सहयोग।
5.5 राजभर समाज के कल्याण के वे बिन्दु जो 5(1ं) से 5(4) तक के बिन्दु में समाहित नहीं
हो पाए किन्तु आवश्यक है (राजनैतिक क्षेत्र को छोड़कर) उन पर विचार मंथन कर
समाहित करना। राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य राजभर समाज
का सर्वांगीण विकास करना है। अतएव ट्रस्ट इसी दिशा में कार्य करेगा।
6. ट्रस्ट मण्डल के अधिकार एवं कर्तव्य :-
6.1 ट्रस्ट सदस्यों से सदस्यता शुल्क अथवा सम्पत्ति के रूप में दान प्राप्त कर सकेगा और
इस प्रकार से प्राप्त सदस्यता शुल्क-सम्पत्ति अनुसूचित बैंकों अथवा पोस्ट आफिस की
राशिवर्धक समयावधि योजनाओं में निवेश कर सकेगा और निवेश से प्राप्त अतिरिक्त
आय का उपयोग ट्रस्ट अपनी इच्छा एवं निर्णय के अनुसार ट्रस्ट के उद्देश्य की पूर्ति
के लिए कर सकेगा। इसमें धनराशि का उपयोग तो निहित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
कर सकेगा किन्तु प्राप्त चल-अचल सम्पत्ति को मूल सम्पत्ति की तरह मान्यता होगी।
6.2 ट्रस्ट अपने कार्य, कार्यक्रमों एवं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु शासन से भी अनुदान राशि
अथवा चल अचल सम्पत्तियों को प्राप्त कर सकेगा किन्तु शासन का सहयोग
सामान्यतः निःशर्त होने की अवस्था में ही स्वीकार किया जाएगा। शासन से भूमि
इत्यादि अचल सम्पत्ति की प्राप्ति पर इस हेतु निर्धारित शुल्क का भुगतान ट्रस्ट द्वारा
किया जाएगा।
6.3 यह कि ट्रस्ट अपने कार्य विधि संचालन हेतु नियम, उपनियम बना सकेगा और उनमें
आवश्यक परिवर्तन भी कर सकेगा किन्तु ऐसे नियम/उपनियम बनाने में घोषित
उद्देश्यों की परिधि का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
6.4 यह कि ट्रस्ट द्वारा उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भवन/भवनों का निर्माण किया जा सकेगा
अथवा भवन/भवनों को सामंजस्य पूर्वक नियमानुसार स्वेच्छा से अधिकृत किया जा
सकेगा अथवा दान स्वरूप अथवा अन्य सुसंगत नियमों के अर्न्तगत ट्रस्ट सम्पत्ति के
अर्न्तगत लिया जा सकेगा। ट्रस्ट के उद्देश्य पूर्ति हेतु भवन इत्यादि किराए पर भी
लिए जा सकेंगे। ट्रस्ट के उद्देश्य की पूर्ति हेतु आवश्यकता पड़ने पर बैंक/वित्तीय
संस्थानों से ब्याज मुक्त या ब्याज युक्त ऋण ट्रस्ट की सम्पत्तियों के तारण पर या
अन्य रूप से प्राप्त किया जा सकेगा। परन्तु बैंकों अथवा वित्तीय संस्थाओं के अलावा
अन्य व्यक्तियों से भी ब्याज मुक्त या ब्याज युक्त ऋण लिया जा सकेगा परन्तु इस
हेतु ट्रस्ट की किसी संपत्ति को बंधक नहीं रखा जा सकेगा। यह कि ट्रस्ट अपने
उद्देष्यों की पूर्ति हेतु जमीन जायदाद इत्यादि स्थायी एवं अन्य अस्थायी सम्पत्तियों
का क्रय कर सकेगा।
6.5 यह कि ट्रस्ट अपने कार्यक्रमों उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न समितियों एवं उप
समितियों का निर्माण भी कर सकेगा जिसमें ट्रस्टी /ट्रस्टियों के अतिरिक्त अन्य
सक्रिय सेवाभावी, धीर गंभीर, संयमी, निस्पृह, विद्वान, समाज में अच्छी छबि वाले
सज्जनों का भी समावेश किया जा सकेगा। उन समितियों/उपसमितियों हेतु
नियम/उपनियम ट्रस्ट मण्डल के द्वारा बनाए जा सकेंगे जो समितियों/उपसमितियों
हेतु पूर्णतः बन्धन कारक होंगे। समितियों/उपसमितियों को भंग करने अथवा पुर्नगठन
करने का अधिकार ट्रस्ट मण्डल को होगा जिसे समितियों/उप समितियों के
पदाधिकारी चुनौती नहीं दे सकेंगे।
6.6 यह कि यह ट्रस्ट निर्धारित नियमों एवं मर्यादाओं के अनुरूप अपने समान उद्देश्यों के
अनुरूप अपने समान उद्देश्यों वाले स्वजाति ट्रस्टों/संगठनों को आर्थिक एवं अन्य
सहयोग अपने समान उद्देश्यांं की पूर्ति हेतु अनुदान के रूप में दे सकेगा एवं ऐसे ही
ट्रस्ट आर्थिक सहयोग एवं अनुदान ले सकेगा।
6.7 यह कि ट्रस्ट सामान्यतः अपना कार्य भावनाशील समयदानियों द्वारा चलाएगा और क्षेत्र
से समयदानी खोजने, प्रशिक्षित करने तथा नियोजित करने के लिए प्रयत्नशील रहेगा
परन्तु आवश्यकतानुसार कार्यकर्ताओं एवं कर्मचारी की नियुक्ति भी कर सकेगा। ऐसे
कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने, पदच्युत करने , पद से पृथक करने अथवा निलंबन
करने का अधिकार भी ट्रस्ट मण्डल को होगा।
6.8 यह कि उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ट्रस्ट मण्डल ट्रस्ट की शाखा/शाखाओं,
समाज के विभिन्न संगठनों को भी प्रेरित करेगा एवं उनके आग्रह पर निर्धारित
रूपरेखा के अधीन रहते हुए, प्रत्येक कार्यक्रम के लिए स्थानीय आवश्यकतानुसार
कार्ययोजना बनाने, योजना को क्रियान्वित करने/कराने कार्यक्रम के संचालन के लिए
समुचित मार्गदर्शन हेतु प्रषिक्षण की व्यवस्था बनाने तथा व्यवहारिक अनुसंधान करने
का भी कार्य ट्रस्ट करेगा तथा आवश्यक हुआ तो अपने व्यय फण्ड से धनराशि भी
उपलब्ध करायेगा।
6.9 यह कि ट्रस्ट इस बात का विशेष ध्यान रखेगा कि ट्रस्ट के उद्देश्यों तथा कार्यक्रमों
की पूर्ति तथा सफलता के लिए जन जागरण, प्रचार प्रसार एवं शिक्षण प्रशिक्षण की
व्यवस्था पर अधिकाधिक शक्ति लगाई जाए। ट्रस्ट अपनी क्रियाविधि, कार्यकलापों एवं
प्रगति की जानकारी समय-समय पर जयंतियों, सम्मेलनों अथवा किसी विशेष कार्यक्रमों
में उपस्थित स्वजाति समूह में अपने प्रतिनिधि के माध्यम से अथवा ऐसे माध्यम से देता
रहे जिससे अधिक से अधिक लोगों को इसकी जानकारी हो सके एवं समूह द्वारा किए
गए उचित सुझावों पर भी विचार करे। समाज अथवा समाज के अन्य संगठनों से
संवादहीनता की स्थिति न रहे, इसके लिए ट्रस्ट विशेष ध्यान रखेगा। चूकिं यह पुण्यार्थ
प्रकृति का ट्रस्ट है, अतएव स्व समाज के हित को प्राथमितकता देते हुए बिना किसी
जाति, लिंग, सम्प्रदाय भेद के सार्वजनिक हित के भी काम करेगा।
6.10 ट्रस्ट, ट्रस्ट मण्डल की विधिवत सर्वानुमति से प्रस्ताव पास कर अनुपयोगी चल-अचल
सम्पत्ति का विक्रय कर उपयोगी चल-अचल सम्पत्ति क्रय कर सकेगा अथवा
अनुपयोगी चल-अचल सम्पत्ति का विक्रय कर उस नगद राशि को सुरक्षित फण्ड में
निवेश कर सकेगा।
6.11 ट्रस्ट मण्डल को ट्रस्टीगण या कार्यकर्ताओं के बीच कार्य वितरण का अधिकार होगा।
6.12 ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ट्रस्ट मण्डल को भारत में कहीं भी ट्रस्ट की
शाखाएॅ खोलने या बन्द करने का अधिकार होगा।
7. ट्रस्ट फण्ड :-यह कि फण्ड के रूप में ट्रस्ट के संस्थापक/संस्थापकों द्वारा रूपयें 18500 राशि
ट्रस्ट को प्रदान की गई है और आशा की जाती है कि यह पूंजी सदैव बढ़ती रहेगी। अपने आय के
उचित स्र्रोतों को ट्रस्ट विकसित करता रहेगा और घोषित उद्देश्यों के लिए भावनापूर्वक दिए गए
सदस्यता शुल्कों, दानों, उपहारों, अनुदानों इत्यादि को भी स्वीकार करेगा। ट्रस्ट फण्ड ट्रस्ट की
सम्पत्ति निम्नानुसार रहेगी।
7.1 सुरक्षित फण्ड या मूल धन राषि :-
7.1(क) संस्थापक/संस्थापकों द्वारा प्रदत्त नगद धनराशि या चल-अचल संपत्ति।
7.1(ख) सदस्यों से सदस्यता शुल्क रूप में प्राप्त नगद राशि या चल-अचल संपत्ति। सदस्यों
का वर्गीकरण निम्नानुसार है। (01-01-2011 से लागू संशोधित नाम एवं राशि)
सामान्य सदस्य (ग्रामीण) - दस रूपए प्राथमिक सदस्य- पाँच सौ रुपये
सामान्य सदस्य (शहरी) - एक सौ रूपए सामान्य सदस्य- एक हजार रुपये
विशिष्ट सदस्य - एक हजार रूपए विशिष्ठ सदस्य- पाँच हजार रुपये
अति विशिष्ट सदस्य - पॉच हजार रूपए अतिविशिष्ठ सदस्य-ग्यारह हजार रुपये
परम विशिष्ट सदस्य - दस हजार रूपए परमविशिष्ठ सदस्य-इक्कीस हजार रु.
संरक्षक सदस्य - पच्चीस हजार रुपये संरक्षक सदस्य- इन्क्यावन हजार रु.
सदस्यता शुल्क सदस्यों को अपने जीवन काल में एक बार ही देना होगा। विशिष्ट,
अति विशिष्ट एवं परम विशिष्ट सदस्य यदि एकमुश्त राशि जमा नहीं कर सकते तो
उन्हें किश्तों में सुविधानुसार एक वर्ष के अन्दर राशि जमा करनी होगी। सदस्य कभी
भी अपनी सदस्यता से उच्च सदस्यता श्रेणी प्राप्त करने के लिए अन्तर की राशि जमा
कर उच्च सदस्यता श्रेणी प्राप्त कर सकते हैं।
7.1(ग) किन्हीं भी दान दाताओं, सरकारी/गैर सरकारी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों आदि से
ट्रस्ट फण्ड में प्राप्त चल-अचल सम्पत्ति अथवा सुरक्षित फण्ड से अभिवृद्धि के रूप में
अर्जित चल-अचल सम्पत्ति अथवा पूर्णतः अनुपयोगी होने पर ट्रस्ट मण्डल की
सर्वानुमति से विक्रय की गई चल-अचल सम्पत्ति से प्राप्त धनराशि से क्रय पूर्णतः
उपयोगी चल-अचल सम्पत्ति। उपरोक्त ट्रस्ट फण्ड केवल ट्रस्ट फण्ड की
अभिवृद्धि/बढ़ोतरी के लिए निवेश किया जा सकेगा, किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए
व्यय नहीं ताकि मूल ट्रस्ट फण्ड सदैव सुरक्षित रहे और उसके निवेश से प्राप्त
अतिरिक्त राशि व्यय योग्य फण्ड में हस्तान्तरित कर उद्देश्य की पूर्ति हेतु उपयोग
किया जा सके।
7.2 व्यय योग्य ट्रस्ट फण्ड :- निम्नानुसार प्राप्त ट्रस्टफण्ड की गणना, व्यय योग्य ट्रस्ट फण्ड में
की जा सकेगी।
7.2(क) सुरक्षित फण्ड या मूलधन के निवेश से प्राप्त बढ़त राषि।
7.2(ख) किन्हीं भी दानदाताओं, सरकारी/गैर सरकारी संस्थाओं, राजनेता/राजनैतिक संगठन,
सामाजिक संगठन/संगठनों, सरकार/सरकारों से नगद के रूप में प्राप्त दान, उपहार,
अनुदान इत्यादि।
7.2(ग) किसी मद या कार्यक्रम विशेष या प्रयोजन में व्यय व्यवस्था के लिए समय-समय पर
किसी से भी लिया गया चन्दा या सहायता, अनुदान, उपहार राशि आदि।
7.3 संस्थापक, ट्रस्टी, संरक्षक व उनसे संबंधितों को ट्रस्ट से लाभ अर्जन पर
प्रतिबंध-
संस्थापक ट्रस्टी, संरक्षक या उनके परिवार वाले या उनसे सबंधित व्यक्ति ट्रस्ट के
लिए की जा रही सेवाओं के लिए या उनके द्वारा स्वेच्छा से किये जा रहे किसी भी
प्रकार के व्यय को ट्रस्ट से वापिस पाने को अपना अधिकार या पात्रता नहीं समझेंगे
और न ही कोई ट्रस्टी, ट्रस्ट के नाम पर व्यक्तिगत निर्णय लेकर ट्रस्ट को हानि
पहुॅचायेंगे।
8. ट्रस्ट फण्ड का निवेषः-ट्रस्ट मण्डल समय-समय पर सुरक्षित ट्रस्ट फण्ड का निवेश
अनुसूचित बैंकों, पोस्ट आफिस तथा आयकर अधिनियम या परिवर्तित प्रावधानों के अर्न्तगत निर्दिष्ट
मदों में ही कर सकेगा। इन विनियोगों का संचालन जिस प्रकार ट्रस्ट के बैंकिंग खातों का संचालन
किया जाता है, उसी प्रकार किया जा सकेगा। ट्रस्ट फण्ड के मूल धन से प्राप्त ब्याज से ट्रस्ट के
उद्देश्यां की पूर्ति हेतु समय-समय पर अचल सम्पत्तियों का क्रय एवं निर्माण भी किया जा
सकेगा। सुरक्षित फण्ड की चल-अचल सम्पत्ति के निवेश से, यदि सुरक्षित फण्ड की धनराशि की
तरह ही यदि आय का साधन बनता है तो ट्रस्ट आय प्राप्त करने के लिये चल-अचल सम्पत्ति का
निवेष भी कर सकेगा।
9. बैंक खाते एवं उनका संचालनः-ट्रस्ट के बैंक खाते, ट्रस्ट के नाम पर किसी भी राष्ट्रीयकृत,
अनुसूचित बैंक अथवा पोस्ट आफिस में खोले जाएंगे। इनका संचालन मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी/मुख्य
ट्रस्टी एवं सहायक प्रबंधक ट्रस्टी दोनों में से किसी एक एवं शेष ट्रस्टियों में से ट्रस्ट मण्डल द्वारा
अधिकृत दो ट्रस्टियों में से किसी एक ट्रस्टी के संयुक्त हस्ताक्षरों से किया जाएगा। इस हेतु मण्डल
अपनी सभा से दो ट्रस्टियों को सर्वानुमति अथवा बहुमत से अधिकृत करेगा। आवश्यकता पड़ने पर
ट्रस्ट मण्डल अधिकृत ट्रस्टियों में फेरबदल भी सर्वानुमति अथवा बहुमत से कर सकेगा। ट्रस्ट की
चल सम्पत्तियों, सोने-चॉदी अथवा बहुमूल्य धातु या बहुमूल्य नगीनों आदि के जेवरात वगैरह उनकी
सुरक्षा के लिए बैंक में लाकर किराए पर लिए जा सकेंगे तथा इनका संचालन भी बैंक खातों के
संचालन मुताबिक ही किया जा सकेगा। ट्रस्ट की शाखा/शाखाओं को ट्रस्ट मण्डल की अनुमति से
बैंक खाते खोलने एवं उनके संचालन हेतु विभिन्न पदाधिकारियों की नियुक्ति भी संभव हो सकेगी।
शाखा/शाखाएॅ अधिकृत क्षेत्र से सदस्यों द्वारा प्राप्त सदस्यता शुल्क अनुदान राशि सुरक्षा की दृष्टि
से इन खातों में जमा कर सकेगे और हर तीन माह में (जनवरी से मार्च, अप्रेल से जून,
जुलाई से सितंबर, अक्टूबर से दिसंबर) जमा हुई मूल सदस्यता शुल्क राशि, अनुदान राशि, वांछित
विवरण सहित प्रधान कार्यालय को भेजेंगे ताकि मण्डल, उस राशि का निवेष कर सके। शाखा/
शाखाओं द्वारा प्रधान कार्यालय में जमा की गई मूल राशि के निवेश से प्राप्त ब्याज का पचास
प््रतिशत शाखा/शाखाओं को प्रेषित किया जाएगा, जिसे शाखा/शाखाएॅ अपने खातों में जमा करेंगे,
पूरा हिसाब किताब रखेंगी और ट्रस्ट द्वारा निर्धारित कल्याणकारी कार्यों में व्यय कर सकेंगी। ट्रस्ट
मण्डल ब्याज वितरण निर्धारित वित्त वर्ष के अनुसार वर्ष में एक बार कर सकेगा।
10.ट्रस्ट के आय व्यय एवं सम्पत्तियों से संबंधित :-
यह कि चूंकि यह सेवा भावना से ओतप्रोत समाज कल्याणकारी एक चेरीटेबल प्रकृति का ट्रस्ट है
जो अपने स्थापित उद्देश्यां एवं कार्यक्रमों हेतु दान भी संग्रहित करेगा। अतः इसका सही-सही
हिसाब किताब रखना अति आवश्यक होगा। हिसाब किताब में मूल सदस्यता राशि, दान-अनुदान
से प्राप्त राषि, किसी कार्यक्र्रम विषेष के लिए अलग से लिया गया चंदा, निवेष से प्राप्त ब्याज
राशि आदि का स्पष्टतः हिसाब किताब रखना आवश्यक होगा। आय-व्यय एवं सम्पत्ति के स्थिति
विवरण का ब्यौरा हर वर्ष बताना आवश्यक होगा। यह वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बताया जाएगा।
हर वर्ष उसकी जॉच पड़ताल ट्रस्ट मण्डल द्वारा नियुक्त प्रशिक्षित लेखाकार (चार्टड एकाउन्टेन्ट) से
कराई जाएगी। कोई भी ट्रस्टी/ट्रस्ट का हिसाब किताब अपने पास नहीं रखेगा। ट्रस्ट का हिसाब
किताब ट्रस्ट के कार्यालय में ही रखा जाएगा। ट्रस्ट का सामान कोई भी ट्रस्टी व्यक्तिगत उपयोग
में नहीं लेगा। ट्रस्ट की सम्पत्ति परमात्मा अथवा जनता जनार्दन की सम्पत्ति मानकर उसकी
पवित्रता बनाई रखी जाएगी। ट्रस्ट की सम्पत्ति हेतु एक स्टाक रजिस्टर रखा जाएगा, जिसमें सभी
सम्पत्तियों का सही-सही ब्यौरा रहेगा। यह स्टाक रजिस्टर मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी एवं सहायक
प्रबंधक ट्रस्टी द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षर कर समय-समय पर प्रमाणित किया जाएगा।
यह कि ट्रस्ट का सम्पूर्ण हिसाब-किताब (आय-व्यय ब्यौरा एवं स्थिति विवरण) एवं चल अचल
सम्पत्तियों का स्टाक रजिस्टर ट्रस्ट की मीटिं्रग में रखा जाएगा। ट्रस्ट मण्डल के द्वारा स्वीकृति के
पश्चात ट्रस्ट का हिसाब किताब सामान्य सभा की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। यह हिसाब
किताब सामान्य सभा के अनुमोदन के पश्चात ट्रस्ट के संस्थापक/संस्थापकों को प्रेषित कर दिया
जाएगा।
यह कि ट्रस्ट के समस्त हिसाब किताब बही खातों के देखरेख सुव्यवस्था एवं सुपर विजन हेतु
मुख्य ट्रस्टी, किसी भी ट्रस्टी को नियुक्त कर सकेगा। वैसे यह कार्य स्वयं मुख्य ट्रस्टी (मुख्य
प्रबंधक ट्रस्टी) भी कर सकेगा। ट्रस्ट के प्रतिवर्ष के बजट प्रोग्रामिंग हेतु ट्रस्ट मण्डल की बैठक में
चर्चा-विचारण हेतु रखा जाएगा एवं तत्पश्चात अनुमोदित एवं स्वीकृत बजट को ट्रस्ट के कार्यक्रम
उद्देश्यां हेतु लगाया जाएगा।
यह कि ट्रस्ट की किसी भी अचल सम्पत्ति का हस्तान्तरण किसी कारणवश अनिवार्य समझा जा
रहा हो तो उससे संबंधित न्यास अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ट्रस्ट मण्डल द्वारा सर्वानुमति
से उक्त अचल सम्पत्ति का हस्तान्तरण किया जा सकेगा।
11. ट्रस्ट की कानून संबंधी व्यवस्थाः-यह कि ट्रस्ट अपने को राज्य में लागू सार्वजनिक
न्यास अधिनियम एवं विभिन्न कानूनों के अंर्तगत जैसे आयकर विभाग एवं अन्य सरकारी विभाग में
टावश्यकतानुसार पंजीकृत कराएगा तथा आयकर आदि रिटर्न समय-समय पर दाखिल करेगा।
लागू होने वाले अन्य सरकारी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करता रहेगा। इस हेतु ट्रस्ट
समय-समय पर कानूनविदों की सलाह एवं मार्गदर्शन भी प्राप्त करेगा।
12. ट्रस्ट की बैंठकें :-
12.1 ट्रस्ट मण्डल की बैंठक - यह कि ट्रस्ट के कार्यों के संचालन हेतु मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी
समय-समय पर आवष्यकतानुसार ट्रस्ट मण्डल की बैंठकें आयोजित करेंगे। परन्तु यह
बैठक ़त्रैमास में एक बार अवष्य होगी। इस प्रकार वर्ष में ट्रस्ट मण्डल की चार बैंठकें
अवश्य होंगी, जिसकी सूचना नियमित समय के 7 दिन पूर्व सभी ट्रस्टी गण को मुख्य
प्रबंधक ट्रस्टी द्वारा भेजी जाएगी। संभव हो तो ट्रस्टी की मीटिंग ट्रस्ट के कार्यालय
में ही ली जायेगी। इस मीटिंग में आवश्यक समझे जाने पर ट्रस्टी गण के अतिरिक्त
अन्य परिजनों को आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया जा सकेगा। ट्रस्ट मण्डल द्वारा
गठित समिति/उप समितियों के पदाधिकारी/पदाधिकारियों, सदस्य/सदस्यों को भी
ट्रस्ट मण्डल की मीटिंग में आवश्यकतानुसार आमंत्रित किया जा सकेगा। मीटिंग अति
टावश्यक होने पर ट्रस्टियों की सहमति से पॉच दिन की पूर्व सूचना के बगैर भी बुलाई
जा सकेगी। आवश्यक होने पर प्रस्ताव को ट्रस्टियों के बीच वितरण एवं अनुमोदन से
भी पारित किया जा सकेगा। ट्रस्ट की मीटिंग के कोरम पूर्ति हेतु दो तिहाई ट्रस्टी
गणों की उपस्थिति अनिवार्य है किन्तु यदि कोरम पूरा नहीं होता तो नियत तिथि की
मीटिंग समय से आधे घंटे तक स्थगित की जाएगी। आधे घंटे पष्चात फिर मीटिंग की
कार्रवाई शुरू की जा सकेगी। मीटिंग की कार्रवाई पुनः शुरू होने पर यदि कोरम पूरा
नहीं होता तो ऐसी दशा में मीटिंग स्थगित नहीं होगी किन्तु कम से कम आधे ट्रस्टी
गणों की उपस्थिति अनिवार्य होगी अन्यथा मीटिंग अगली तिथि की सूचना तक स्थगित
हो जायेगी। यह कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों की संख्या विषम में है। अतः उपरोक्तानुसार दो
तिहाई अथवा आधे की गणना हेतु एक से कम वाली संख्या को एक माना जायेगा।
यह कि मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी ट्रस्ट की सभी मीटिंग का अध्यक्ष होगा। मुख्य प्रबंधक
ट्रस्टी की अनुपस्थिति में सहायक प्रबंधक ट्रस्टी ट्रस्ट की मीटिंग का अध्यक्ष होगा।
दोनों की अनुपस्थिति में उपस्थित ट्रस्टी अपने में से किसी एक को उस मीटिंग के
लिए सर्वानुमति अथवा बहुमत से अध्यक्ष चुन लेंगे। किसी भी मीटिंग में मत विभाजन
की स्थिति में यदि किसी प्रस्ताव के पक्ष विपक्ष में बराबरी के मत होते हैं, तो मीटिंग के
अध्यक्ष को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा।
यह कि ट्रस्ट की मीटिंग में पारित प्रस्तावों एवं निर्णयों को कार्रवाई रजिस्टर में दर्ज
किया जावेगा। मीटिंग के लिये गये निर्णयों पर ट्रस्टीगण सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप
से निर्णयों के क्रियान्वयन हेतु सदैव प्रयासरत रहेंगे।
12.2 सामान्य सभा की बैठक :- सामान्य सभा की सामान्यतः छः माही में बैठक अवश्य होगी
परन्तु संयुक्त समन्वय समिति की संस्तुति पर यह बैठक आवष्यकतानुसार कभी भी
बुलाई जा सकती है। सामान्य सभा की बैठक मुख्य ट्रस्टी /मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी अथवा
उसके नामित व्यक्ति द्वारा बुलाई व संचालित की जायेगी। सामान्य सभा ट्रस्ट के
कार्यकलापों की समीक्षा करेगी और उसके उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक
सुझाव देगी।
12.3 संयुक्त समन्वय समिति की बैठकः- संयुक्त समन्वय समिति की बैठक सामान्यतः
तिमाही होगी। समिति की बैठक मुख्य ट्रस्टी (मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी) अथवा उसके नामित
व्यक्ति द्वारा बुलाई व संचालित की जाएगी।
13. ट्रस्ट के विलय संबंधी :- यह कि आवश्यकता होने पर ट्रस्ट मण्डल द्वारा स्वीकृत
समान उद्देश्य वाले किसी अन्य स्वजाति ट्रस्ट का विलय इस ट्रस्ट में कानूनी औपचारिकताएॅ
पूर्ण कर किया जा सकेगा। इसी प्रकार आवश्यक होने पर ट्रस्ट मण्डल द्वारा स्वीकृत इस ट्रस्ट
का विलय समान उद्देष्य वाले किसी अन्य स्वजाति ट्रस्ट में कानूनी औपचारिकताएॅ पूर्ण कर
लिया जावेगा। इस विलय के लिए सर्व संस्थापक/संस्थापकों की सहमति आवश्यक है। यदि
संस्थापक/संस्थापकों की मृत्यु हो चुकी हो तो उनके उत्तराधिकारी/उत्तराधिकारियों से सहमति
लेनी होगी। विलय की स्थिति में विलीन होने वाले ट्रस्ट की सारी चल एवं अचल संपत्ति विलेय
ट्रस्ट की हो जायेगी एवं दस्तावेज में आवश्यक परिवर्तन विलेय ट्रस्ट के पक्ष में करा लिए जायेंगे।
14 ट्रस्ट के असफल होने, अराजकता उत्पन्न होने पर ट्रस्ट फण्ड का
उपयोगः-यदि किसी कारणवश ट्रस्ट में अराजकता उत्पन्न होती है और ट्रस्ट असफल होता
है एवं उसमें सुधार की कोई गुंजाईश नहीं रहती तब राष्ट्रवीर महाराजा सुहेल देव ट्रस्ट की
सम्पूर्ण मूल धनराशि/अतिरिक्त राशि/चल-अचल सम्पत्ति को मूलधन मानकर दीर्घ अवधि के
लिए बैंक, पोस्ट आफिस में निवेश किया जाएगा और अन्य प्रसिद्ध संस्थाओं यथा साहित्य
अकादमी, ज्ञानपीठ आदि के समान राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव भर पुरूस्कार देने की योजना
प्रारंभ कर दी जाएगी एवं ऐसी योजना के लिए गैर सरकारी स्तर पर जो प्रावधान होगे वह
अपनाए जायेंगे।
15. ट्रस्ट संस्थापक/संस्थापकों घोषणाः-यह कि उपर्युक्त राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव
ट्रस्ट के संस्थापक यह घोषणा करता हूॅ/करते हैं कि मैंने/हमने उपर्युक्त ट्रस्ट का गठन एवं
निर्माण बिना किसी बाहरी दबाब के स्वस्थ मनःस्थिति से आज दिनॉक 09-02-2007 को मृगनयनी भवन (सामुदायिक भवन) सिहोरा, जिला जबलपुर (म.प्र.) 483225 भारत में बैठक कर किया है जो लिखित रूप में उपरोक्तानुसार है।
क्रमांक संस्थापक/संस्थापकों के नाम पूरा पता हस्ताक्षर
1 आचार्य शिवप्रसाद सिंह राजभर म.नं. 2/234, आनंद भवन, सिहोरा
जबलपुर (म.प्र.) 483 225
2 श्री शिवपरसन राय बी-28, कमला नेहरु नगर, खुर्रम
पूर्व कृषि निर्देषक नगर, लखनउ (उ.प्र.) 226022
3 डॉ. धनेश्वर राय एल-6/192, सेक्टर एम अलीगंज
संयुक्त निर्देषक लखनउ (उ.प्र.) 226024
4
श्री सुभाष कुमार प्रसाद दूरदर्शन केन्द्र, मउ (उ.प्र.)
वरिष्ठ अभियांत्रिकी सहायक
5 श्री बीरबल राम ग्रा.पो. अनौनी, जि. गाजीपुर (उ.प्र.)
(मा.वा.आ.)
6 श्री यदुनंदन प्रसाद ग्राम बजरिया, पो. सलेमपुर,
(रिटा. दरोगा) जिला देवरिया (उ.प्र.)
7 श्री हरिलाल भारशिवा म.नं. 20, षंकर कालोनी, निकट फलाई
आयकर अधिकारी ओवर चौक, ओल्ड डी.सी. रोड,
सोनीपत (हरियाणा)
8 श्री राजेश कुमार सिंह म.नं. 93, श्यामापल्ली कालोनी,
(बी.एच.ई.एल) क्र्रस्टल केम्पस के पास, खजूरी
कला, पो. पिपलानी, भोपाल (म.प्र.)
9 श्री जगदीश चौधरी मार्फत-शर्मा खादी भंडार,
रिटा. प्रधान अध्यापक सिंहेष्वर, जिला मधेपुरा (बिहार)
10 श्री वी. पी. राज बैकुण्ठनगर, भिलाई, दुर्ग (म.प्र.)
(अध्यापक)
11. श्री गोरेलाल पटैल पाठक वार्ड, कंदेली, नरसिंहपुर (म.प्र.)
पूर्व पार्षद
12. श्री श्रीराम राजभर ग्रा.पो. दौलतनगर गाजीपुर (उ.प्र.)
13. श्री गोपीलाल चौधरी राजविराज, नगरपालिका-7,
रिटा. पुलिस इंस्पेक्टर लीलजाटोल, जिला सप्तरी, नेपाल
14 श्री भगवत सिंह राजभर राजविराज, नगरपालिका-7,
रिटा. प्रधान अध्यापक लीलजाटोल, जिला सप्तरी, नेपाल
15 श्री लौहर राजभर हरिओम धान्य भण्डार के सामने,
व्यवसायी पोखरण रोड, नं. 2, ठाणे, महाराष्ट्र
16. श्री श्यामलाल राजभर (लेखाधिकारी) म.नं. 2278, दुर्गा मन्दिर के पास, बजरंगनगर
रॉँझी, पो-व्हीकल फेक्टरी, जबलपुर म.प्र.
17-श्री तूफानी राजभर शास्त्री मार्केट, भिलाई, (छ.ग.)
18-श्री कमला राजभर (रिटा. फौजी) प्लाट नं. 10, न्यू आजादनगर, पब्लिक स्कूल ,सतभरी रोड, कानपुर उ.प्र.
19-श्री अच्छेलाल राजभर (मलेरिया इन्स्पेक्टर) ग्राम-कछपुरा, पो-गोसलपुर, तह-सिहोरा, जिला-जबलपुर म.प्र.
20- श्री श्यामलाल राजभर (फोन मेकेनिक) प्लाट नं. 32ए, विमल स्कूल के सामने वाली गली, राजनगर, कर्रही, कानपुर उ.प्र.
21- श्री शिवबालक राजभर (रिटायर लेखाधिकारी), म.नं.2/230, ए.जी. कालोनी, पो-आशियाना नगर ,पटना बिहार
22- श्री अंजूकुमार राजभर, ग्राम-मोहनिया, पोस्ट-गांधीग्राम, जिला-जबलपुर म.प्र.
23- श्री रामदयाल राजभर (इनकी मृत्यु हो चुकी है), ग्राम-पो-बरहटा, जिला-नरसिंहपुर म.प्र.
24-श्री रामभजन राजभर ग्राम-मेहियापार, पो-सारैन अहरौला , जिला-आजमगढ़ उ.प्र.
25-श्री रामअधार राजभर ग्राम-बनजरिया, पो-सलेमपुर, जिला-देवरिया उ.प्र.
26-श्री बद्रीसिंह राजभर फूलपुर इलाहाबाद उ.प्र.
27- श्री रामलखन भारद्वाज शिक्षक , एस.एफ. 1053, एम.पी.ई.बी. कालोनी, सारणी जिला-बैतूल म.पं्र.
28-श्री उपेन्द्रनारायण मण्डल, मार्फत-शर्मा खादी भण्डार, सिंहेश्वर जिला-मधेपुरा बिहार
29-श्री दिनेश श्रीनारयण भारद्वाज, ग्राम-पो- माडगी, तह-तुमसर, जिला-भण्डारा (महाराष्ट्र)
30-श्री हरीनाथ राजभर (इनकी मृत्यु हो चुकी है।),428, जूनियर एम.आई.जी., सेक्टर-1, पानी की टंकी के पास, पं. दीनदयाल उपाध्यायनगर, रायपुर छ.ग.
31-श्री रामबृज राजभर, ग्राम-कुरिहर, पो-उदियावां(बरदह), जिला-आजमगढ़ उ.प्र.
32-श्री चन्द्रमा भारद्वाज, बी.नाग एस.टी.डी. आजाद चौक, किरोड़ीमलनगर ,रायगढ़ छ.ग.
33-श्री छोटेलाल राजभर ग्राम-मानगांव, पो-बंधा, तह-सिहोरा, जिला-जबलपुर म.प्र.
34-श्री ऋषिकेश राजभर ग्राम-अहियाई,पो-सादात (अकबरपुर) जिला-गाजीपुर उ.प्र.
35-श्री सुरेन्द्र चौधरी राजभर, लीलजाटोल, राजविराज वार्ड नं. 7, सप्तरी नेपाल देश
36-श्री सूर्यनारायण मण्डल, ग्राम-पो-लालपुर, बरोपट्टी, अंचल-सिंहेश्वर, जिला-मधेपुरा बिहार
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टिप्पणी- नियमावली कम्पोज करने में पूरी सावधानी बरती गई है। यदि किसी प्रकार की भूल-चूक हो तो मूल प्रति में है वही सही माना जायेगा। 25 दिसम्बर 2010 की बैठक में जो संशोध हुए हैं उसकी जानकारी जनवरी 2011 के अंक में संक्षिप्त में प्रकाशित कर दी गई है। जिसके अनुसार न्यूनतम सदस्यता शुल्क प्राथमिक सदस्य पांच सौ रुपये, सामान्य सदस्य एक हजार रुपये, विशिश्इ सदस्य पांच हजार रुपये, अति विशिष्ठ सदस्य ग्यारह हजार रुपये, परम विशिष्ठ सदस्य इक्कीस हजार रुपये,एवं संरक्षक सदस्य इन्क्यावन हजार रुपये होगा। ऐसे संस्थापक सदस्य जो प्राथमिक सदस्य भी नहीं बने मतदान से वंचित या विलोपित समझे जायेंगे। संशोधन जनवरी 2011 से लागू होगा। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें।
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संक्षिप्त परिचय
(1) नाम -ः आचार्य शिवप्रसादसिंह राजभर ‘‘राजगुरु’’
(2) जन्म तिथि-ः 01-01-1945 ई.
(3’) जन्म स्थान -ः ग्राम-झाँसी, पोस्ट-ः गोसलपुर, तह-ः सिहोरा, जिला- जबलपुर म.प्र. 483222
(4) शिक्षा-ः एम.ए. (हिन्दी ,, भाषाविज्ञान, समाजशास्त्र) जबलपुर विश्वविद्यालय जबलपुर,
(5) अन्य-ः रामायणाचार्य (ग्वालियर) , साहित्य महामहोपाध्याय (डीलिट्) अखिल भारतीय विद्वत्परिषद अयोध्या आदि।
(6) तीन दर्जन से अधिक ग्रन्थों का सृजन (सभी विधाओं में ) वर्ष 1958 ई. से
(7) अनेक सम्मानोपाधियों से सम्मानित
(8) संस्थापक-सम्पादक राजभर मार्तण्ड मासिक पत्रिका , 26 वां वर्ष प्रारम्भ ,मुख्य ट्रस्टी/अध्यक्ष राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट, पूर्व प्रान्तीय अध्यक्ष (म.प्र.)-आल इण्डिया वोटर्स राईट्स एण्ड वेल्फेयर एसोसियेशन , पूर्व प्रादेशिक सलाहकार (म.प्र.)-ः न्यूज पेपर्स एण्ड मैगजीन्स फेडरेशन आफ इण्डिया, , पूर्व अध्यक्ष म.प्र.रा. महासभा इत्यादि इत्यादि ।
(9) केन्द्रीय सरकार के अर्द्धशासकीय उपक्रम से वर्ष 2004 ईस्वी में सेवा निवृत्त
(10) सम्प्रति- समाज सेवा, साहित्य सृजन , पत्रिका सम्पादन
(11) पत्र व्यवहार का स्थायी पता-ः आनन्द भवन ,(सहकारी दाल मिल के पीछे) , सिहोरा, जिला- जबलपुर म.प्र. 483225 फोन नं. 07624-230685 , मो.नं. 09424767707 म्ड।प्स्. ंबींतलंतंरइींततंरहनतन230/हउंपसण्बवउ ए
पंजीयन क्र. 236/बी-121/07-08 दिनांक-21.8.2008
स्टेट बैंक आफ इण्डिया खाता संख्या-30491671464,आयकर च्।छ दवण्3821 पी
केन्द्रीय कार्यालय
म.नं.2/234, आनन्द भवन, सहकारी दाल मिल के पीछे, सिहोरा, जिला-जबलपुर, मध्यप्रदेश-483225
फोन नं.-07624-230685, मोबा.नं.-09424767707,
नियमावली
1. ट्रस्ट का नाम - ट्रस्ट का नाम राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट होगा।
ट्रस्ट की प्रकृति - धर्मार्थ ट्रस्ट
2. ट्रस्ट का कार्यालय :- ट्रस्ट का कार्यालय - म. नं. 2/234, आनंद भवन, सहकारी दाल मिल
के पीछे, सिहोरा, जिला जबलपुर (म.प्र.), भारत - 483 225 होगा। ट्रस्ट
का कार्यालय आवष्यकतानुसार बदला भी जा सकता है, जिसके लिए
प्रस्ताव पारित किया जाना अनिवार्य होगा। ट्रस्ट की षाखा / षाखाएॅ
आवष्यकतानुसार ट्रस्ट मण्डल के निर्णयानुसार प्रारंभ की जा सकेंगी या
बन्द की जा सकेंगी।
3. ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र :- ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत (अथवा विष्व में जहॉ भी राजभर समाज
स्थित है) होगा।
4. ट्रस्ट की संरचना एवं गठन -
4.1 ट्रस्ट मण्डल - ट्रस्ट के प्रबंध विनिमयों द्वारा ट्रस्ट के कार्यों के प्रबंध के लिए निम्नलिखित
ट्रस्टीगण को उनकी स्वीकृति से ट्रस्टी नियुक्त किया जा रहा है जो परोपकार
और समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर स्वेच्छा से उक्त ट्रस्ट के गठन में
अपनी महत्वपूर्ण सहभागिता दर्ज कर रहे हैं। ये सभी ट्रस्टी गण राजभर
समाज उत्थान अभियान के समर्थक, पोषक एवं राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव
की राष्ट्रवादी विचारधारा के अनुयायी है। ये सभी ट्रस्टीगण इस हेतु वचनबद्ध
हैं कि यह ट्रस्ट राजभर समाज के सर्वांगीण विकास के लिए पूर्णतः समर्पित
रहेगा।
क्र. ट्रस्टियों के नाम पता पदभार व्यवसाय
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1 आचार्य शिवप्रसाद सिंह आनंद भवन, सिहोरा मुख्य ट्रस्टी/ पेंशनर
राजभर जि. जबलपुर, म.प्र. 483 225 अध्यक्ष
2. गोपीलाल चौधरी राजविराज, नगरपालिका-7 सहा.प्रबं. ट्रस्टी पेंशनर
लालजाटोल, जि. सप्तरी, नेपाल उपाध्यक्ष
3. श्री शिवपरसन राय बी-26, कमला नेहरु नगर, ट्रस्टी /सचिव पूर्व कृषि
खुर्रम नगर, लखनउ (उ.प्र.) निर्देशक
4. डॉ. धनेश्वर राय एल-6/192, सेक्टर एम, ट्रस्टी /संयु. संयुक्त
अलीगंज, लखनउ (उ.प्र.) सचिव निदे.
5. श्री अच्छेलाल राजभर ग्राम कछपुरा, पो. गोसलपुर, ट्रस्टी / मलेरिया
तह. सिहोरा, जिला जबलपुर कोषाध्यक्ष इंस्पेक्टर
(म.प्र.) 483222
6 श्री हरिलाल भारशिव म.नं. 20, शंकर कालोनी , ट्रस्टी आयकर
निकट फलाई ओवर चौक, अधि.
ओल्ड डी.सी. रोड, सोनीपत
(हरियाणा)131001
7. श्री जगदीश चौधरी मार्फत-शर्मा खादी भंडार, ट्रस्टी पेंषनर
सिंहेश्वर, जि. मधेपुरा(बिहार)
8. सुबास मास्टर प्रबंधक, शिवम वैष्नो ढाबा, ट्रस्टी व्यवसाय
लोअर माल, पटियाला, पंजाब147001
9. श्री राजेश कुमार सिंह म.नं. 93, श्यामापल्ली कालोनी, ट्रस्टी शा.सेवा
क्रस्टल केम्पस के पास, खजूरी
कलां, पो. पिपलानी, भोपाल, म.प्र.
10. श्री वी.पी. राज बैकुण्ठपुर, भिलाई, जि. दुर्ग (छ.ग) ट्रस्टी शिक्षक
11. श्री बीरबल राम राजभर ग्रा. पो. अनौनी, जि. गाजीपुर (उ.प्र.) ट्रस्टी पेंशनर
12. श्री शिवचंद राम राजभर म.नं. 2003/12, सेक्टर 32-सी, ट्रस्टी पेंशनर
चण्डीगढ़ 160 047
इस ट्रस्ट के अधिकार में अधिकतम (15) एवं न्यूनतम (7) ट्रस्टी होंगे। यह कि उपरोक्त क्रमांक 4.1 की सूची के क्रमांक 1 में अंकित ट्रस्टी मुख्य ट्रस्टी या मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी/अध्यक्ष एवं क्रमांक 2 में अंकित ट्रस्टी सहायक प्रबंधक ट्रस्टी/उपाध्यक्ष कहलायेंगे। उनके साथ अन्य सभी उपरोक्तानुसार इस ट्रस्ट के ट्रस्टीगण कहलाएंगे तथा उन सबका समूह ट्रस्ट मण्डल कहलाएगा।
सामान्य रूप से ट्रस्ट मण्डल का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। हर तीन वर्ष की अवधि पूरी होने पर नये ट्रस्ट मण्डल का गठन होगा किन्तु यदि ऐसा नहीं हो पाता तो उसके बाद अधिकतम छः माह की अवधि के अंतर्गत चुनाव प्रक्रिया पूर्ण कर नए ट्रस्ट मण्डल का गठन कर उसे कार्यभार सौंप दिया जाना चाहिए किन्तु किसी की मृत्यु होने, स्वेच्छा से पद छोड़ने, कदाचार के कारण हटाये जाने या ट्रस्ट मण्डल की संख्या बढ़ाये जाने के लिये बीच में भी चुनाव हो सकते हैं।संस्थापक मण्डल, ट्रस्ट मण्डल, संरक्षक मण्डल एवं सभी श्रेणी के सदस्य सर्वसम्मति से किसी भी ट्रस्टी को आजीवन पद पर बने रहने का सम्मान दे सकते हैं।
4.2 ट्रस्ट मण्डल का चुनाव : ट्रस्टियों का चुनाव करते समय उनकी सम्पन्नता एवं शिक्षा आदि
को मानदण्ड नहीं माना जाएगा अपितु समाज के लिए उनके द्वारा की गई सेवाओं, नम्रता, सेवा
भावना, मिशनरी निष्ठा, समाज के लिए त्याग-भावना, समाज के हर व्यक्ति-समूह के लिए समान
प्रेमदृष्टि, सदाचरण, उदात्त चरित्र आदि का ध्यान रखा जाना परमावश्यक है। ट्रस्ट का कार्य पूरी
तरह पुण्यकार्य से जुड़ा हुआ है। अतएव ट्रस्टीगणों को सम्पूर्ण समाज के हित के लिए वही भूमिका
निभानी होगी जो एक परिवार के कल्याण के लिए माता-पिता निभाते हैं। उनमें यह भावना होनी
चाहिए कि परमात्मा ने अपने आत्म-स्वरुप जनता-जनार्दन की सेवा का अवसर दिया है।
राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र एवं उद्देश्य वह पुण्यधाम है - जहॉ
गृहस्थ जीवनयापन करने वाले महात्मा, पुण्यात्मा गौतम बुद्ध की करुणा, ईसा मसीह की क्षमा,
कबीर के फक्कड़पन, महात्मा गॉधी के समन्वयवाद और भीमराव अम्बेडकर के पिछड़े समाज को
ऊपर उठाने की ललक को बखूबी अंजाम दे सकते हैं। ट्रस्ट में गणनात्मक नहीं वरन् गुणात्मक
व्यक्तित्व एवं पद्धति को अपनाया जाएगा। प्रारंभिक अवस्था में ट्रस्ट मण्डल का चुनाव उपरोक्त
गुणात्मक पहलुओं को पूर्णतः ध्यान में रखते हुए आहूत बैठक में उपस्थित 4(1) में वर्णित ट्रस्ट
मण्डल के सदस्य, 4(3-क) में वर्णित सामान्य सभा के सदस्य 4(4-क) में वर्णित संरक्षक मण्डल के
सदस्य, 4(5-क) में वर्णित समन्वय समिति के सदस्य एवं क्रमांक 15 में वर्णित संस्थापक मण्डल के
सदस्य अथवा संस्थापक मण्डल के किसी भी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर उसका सम्मान बनाए
रखने के लिए उस परिवार से मुख्य ट्रस्टी द्वारा नामजद 4(.4-ख) में वर्णित संरक्षक मण्डल के
सदस्य सर्व-सम्मति से करेंगे एवं यदि आवश्यक हो तो समाज के मार्गदर्शक से मार्ग दर्शन प्राप्त
कर चयन को अंतिम रूप देंगे। निवृतमान ट्रस्टी जिनका वर्णन 4(1) में दिया गया है, यदि वे
संस्थापक मण्डल के सदस्य नहीं हैं एवं किसी कदाचार के कारण पद से नहीं हटाए गये तो
उनको संक्षक मण्डल 4(.4-क) में शामिल किया जायेगा।
संभव है कि पद-लोलुप, धन-लोलुप, चालाक(बंचक) व्यक्ति/व्यक्तिगण ट्रस्ट से लाभ
उठाने के लिए बहुमत जुटाकर ट्रस्ट के महत्वपूर्ण पद/पदों पर आसीन होना चाहें और ट्रस्ट की
मिशनरी भावना को ताक पर रखकर समाज हित की बजाय व्यक्ति-हित साधें। इस दोष को दूर
करने एवं दोष-हीन चुनाव पद्धति बनाने के लिए ट्रस्ट मण्डल सभी सम्मानित सदस्यों से सुझाव
आमंत्रित करेगा एवं ट्रस्ट के पंजीयन के छः माह के अन्दर एक आमसभा/बैठक बुलाकर प्राप्त
सुझावों से उस पद्धति को विधिवत् प्रस्ताव द्वारा स्वीकृत करेगा जो दोष रहित हो या कम से कम
दोषपूर्ण हो एवं विधि-सम्मत भी हो। यह सब इसलिए आवश्यक है ताकि ट्रस्ट के मूल उद्देश्यों
की पूर्ति का गला न घुटे एवं ट्रस्ट लूटपाट का अखाड़ा न बने।
4(3) सामान्य सभा : ट्रस्ट की सामान्य सभा (जनरल बाडी) में निम्नांकित सदस्य शामिल होंगे।
4(3-क) : सामान्य सदस्यों ग्रामीण, सामान्य सदस्यों शहरी, विशिष्ट सदस्यों, अति विशिष्ट
सदस्यों, परम विशिष्ट सदस्यों द्वारा अपनी-अपनी सदस्य श्रेणी से चुने गए
पॉच-पॉच सदस्य।
4(3-ख) : ट्रस्ट के सभी सदस्य।
4(3-ग) : संरक्षक मण्डल के सभी सदस्य।
4(3-घ) : संस्थापक मण्डल के वे सभी सदस्य जो उपरोक्त किसी अनुक्रमांक में शामिल नहीं है।
सामान्य सभा - अनुक्रमांक 4(3-क) में वर्णित सदस्यों द्वारा अपनी सदस्य श्रेणी से पॉच-पॉच
ऐसे सदस्य चुनने होगें जो ट्रस्ट की विचारधारा के अनुयायी हों जो रचनात्मक आंदोलन को गति देने के लिए निर्धारित न्यूनतम अंशदान (नकद अथवा सामग्री) जमा करने के अलावा जिनने नियमित रूप से स्थान भवन की कोई सुविधा ट्रस्ट को दे रखी हो अथवा नियमित समयदान अथवा उल्लेखनीय सेवा दे रहे हों। ऐसे व्यक्तियों की विधिवत् सूची कारण सहित प्रतिवर्ष वित्तीय वर्ष के प्रथम त्रै-मास में ट्रस्ट द्वारा जारी की जायेगी। इस प्रक्रिया में यह भी प्रयास किया जाएगा कि भारत के उन राज्यों के व्यक्तियों को भी प्राथमिकता मिल जहॉ राजभर समाज अधिक संख्या में है।
4(4) संरक्षक मण्डल :
4(4-क) : संरक्षक मण्डल में ऐसे सदस्य होंगे जो ट्रस्ट को राजनैतिक दल-दल से दूर रखने के
प्रति कटिबद्ध तथा वचनबद्ध है एवं ट्रस्ट के रचनात्मक आन्दोलन के प्रति पूरी
आस्था रखते हैं तथा स्व-समाज सेवा से जुड़े रहने के साथ - साथ प्रभाव, विशेषज्ञता
एवं संसाधन की दृष्टि से समर्थ हैं एव न्यूनतम पच्चीस हजार रुपये अनुदान दे सकें।ं
ट्रस्ट मण्डल की सहमति से ऐसे व्यक्तियों को संरक्षक मण्डल में शामिल किया जा
सकता है। ट्रस्ट मण्डल का यह प्रयास होगा कि ऐसे राज्य जहॉ पर राजभर समाज है
उस राज्य का भी प्रतिनिधि हो। यह बात ध्यान में रखते हुए उपरोक्त योग्यता वाले
व्यक्ति को संरक्षक मण्डल में सम्मिलित करे। ट्रस्ट मण्डल ऐसे व्यक्तियों को जिन्हें कि
संरक्षक मण्डल में शामिल कर रहा है - उन व्यक्तियों से उनकी स्वीकृति लेगा।
स्वीकृति/सहमति के उपरान्त ट्रस्ट मण्डल की आगामी बैठक में प्रस्ताव पास कर
उनके नाम संरक्षक मण्डल में सम्मिलित किए जा सकेंगे। इसी प्रकार कदाचार का
दोषी पाये जाने पर नाम हटाये भी जा सकेंगे।
क्रमांक नाम पूरा पता पद/व्यवसाय
4(4-ख) : संस्थापक मण्डल के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर उस संस्थापक सदस्य का
सम्मान रखने के लिए मुख्य ट्रस्टी उस संस्थापक सदस्य के किसी उत्तराधिकारी या
उस परिवार के किसी भी सदस्य को संरक्षक मण्डल की स्थायी सूची में शामिल कर
सकेगा। इस स्थायी सूची में फेर-बदल या पुर्नगठन की स्थिति में यदि उस संरक्षक
सदस्य को अलग किया जाता है तो उस संस्थापक सदस्य के अन्य उत्तराधिकारी,
परिवार के सदस्य का निकट रिश्तेदार को मुख्य ट्रस्टी द्वारा नामजद किया जाएगा।
दोनों ही स्थिति में विधिवत् प्रस्ताव ट्रस्ट मण्डल द्वारा पारित किया जायेगा।
क्र. नामजद संरक्षक पूरा पता व्यवसाय संस्थापक का नाम विषेष
सदस्य का नाम जिसके देहावसान
के कारण सदस्य
नामजद किया गया है
संस्थापक मण्डल एवं ट्रस्ट मण्डल के साथ मिलकर दिशा निर्देश तय करने में संरक्षक मण्डल की
भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
4(5) संयुक्त समन्वय समिति - ट्रस्ट मण्डल द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से सदस्यों का चयन कर एक
संयुक्त समन्वयक समिति का गठन किया जाएगा जो ट्रस्ट के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य-योजना
बनाने, उसे क्रियान्वित करने/कराने तथा समय-समय पर मानीटरिंग एवं समन्वय का कार्य
करेगी। इस समन्वय समिति में निम्नानुसार सदस्य होंगे।
4(5-क) : सामान्य सदस्यों-ग्रामीण, सामान्य सदस्यों-शहरी, विशिष्ट मण्डल सदस्यों, अति
विशिष्ट सदस्यों एवं परम विशिष्ट सदस्यों में से ट्रस्ट मण्डल द्वारा चयनित दो-दो
प्रतिनिधि (कुल दस सदस्य)।
4(5-ख) : ट्रस्ट मण्डल के कम से कम दो सदस्य, रूचि के अनुसार ट्रस्ट मण्डल द्वारा निर्धारित।
4(5-ग) : संरक्षक मण्डल 4(4-क) एवं 4(4-ख) से दो सदस्य, ट्रस्ट मण्डल द्वारा निर्धारित।
4(5-घ) : संस्थापक मण्डल के दो सदस्य ट्रस्ट मण्डल की रूचि के अनुसार निर्धारित। संयुक्त
समन्वय समिति का गठन ट्रस्ट मण्डल की बैठक में प्रस्ताव पारित कर किया जायेगा।
संयुक्त समन्वय समिति का कार्यकाल एक वर्ष होगा। पुराने सदस्य पुर्नगठन प्रक्रिया में
पुनः लिए जा सकेंगे।
5. ट्रस्ट के उद्देष्य : ट्रस्ट के निम्नांकित उद्देष्य होंगे -
5.1 राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव के द्वारा देश, धर्म, समाज एवं संस्कृति की रक्षा के लिए
की गई सेवाओं से राष्ट्रजनों को अवगत कराना एवं राजभर समाज के प्रत्येक व्यक्ति
व परिवार का राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट से जोड़ना या जुड़ने के लिए प्रेरित
करना।
5.2 सदस्यता की निर्धारित श्रेणियों के अनुसार सदस्यों, दान-दाताओं, सरकारी-गैर
सरकारी संस्थाओं से अधिकतम आर्थिक सहयोग(नगद राशि अथवा चल संपत्ति) प्राप्त
कर राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट को आर्थिक रुप से अधिक से अधिक समृद्ध
बनाना एवं सदस्यों द्वारा प्रदत्त मूल सदस्यता राशि अथवा चल-अचल सम्पत्ति को
पूर्णतः सुरक्षित रखते हुए उसके ब्याज अथवा अतिरिक्त आय को राजभर समाज को
हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, धार्मिक,
सांस्कृतिक, स्व-जाति एवं राष्ट्र गौरव के प्रचार-प्रसार अर्थात सूचना-प्रसारण एवं
प्रकाशन आदि क्षेत्रों (जिनका विवरण बिन्दु 5(3)में दिया गया है) में विकास कार्यों में
लगाना। ट्रस्टके किसी भी प्रकार के धन को राजनैतिक क्षेत्र में उपयोग (यथा-किसी भी
स्वजाति, विजातीय नेता या किसी भी राजनैतिक दल को चुनाव फण्ड या अन्य मद में
देना) पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा किन्तु ट्रस्ट या राजभर समाज हित में किसी भी राजनेता
या किसी भी राजनैतिक दल द्वारा उनके सहायता फण्ड से ट्रस्ट को अनुदान में दी
जाने वाली राशि को ट्रस्ट द्वारा स्वीकार किया जाना ट्रस्ट का राजनीतिकरण नहीं
माना जाएगा। इसी प्रकार ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट स्व-समाज हित में अपने किसी कार्यक्रम में
किसी भी राजनैतिक दल के व्यक्ति जो कि किसी भी स्तर पर की विधायिका या
कार्यपालिका से संबंधित हो या किसी भी दल की लोकप्रिय शख्सियत हो को कार्यक्रम
की अध्यक्षता, मुख्य आतिथ्य आदि के लिए बुलाए जाने एवं उस व्यवस्था पर धनराषि
व्यय किए जाने को राजनैतिक क्षेत्र पर व्यय नहीं माना जाएगा।
5.3 सदस्यों द्वारा जमा मूल धन राशि ट्रस्ट मण्डल द्वारा अनुसूचित बैंक या पोस्ट आफिस में
थ्नवेश से ब्याज में प्राप्त धन अथवा चल-अचल सम्पत्ति से प्राप्त अतिरिक्त आय
अथवा दान-दाताओं द्वारा समय समय पर दान में दी गई राशि या अतिरिक्त मदों में
प्राप्त राशि के उपयोग के लिए व्यय एवं व्यय क्षेत्र के मानदण्ड तय करना, व्याख्या
करना एवं सलाह हेतु पृथक-पृथक समिति/उपसमिति गठित करना, उन समितियों/
उपसमितियों द्वारा की गई सिफारिशों की समीक्षा कर कार्य रुप में परिणित करना,
यथा-
षिक्षा क्षेत्र :- संसाधन हीन गरीब एवं प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति, पारितोषक
व्यवस्था, हर स्तर की प्रतियोगिता, परीक्षाओं हेतु प्रशिक्षण व्यवस्था, सलाह अथवा
आर्थिक सहायता, ट्रस्ट द्वारा सभी स्तर के शिक्षण संस्थानों के निर्माण एवं संचालन,
मुख्य रुप से रोजगार परक शिक्षा व्यवस्था, महिला शिक्षा को बढावा देना एवं हर क्षेत्र
में महिलाओं की सहभागिता को बढावा देना अर्थात महिला एवं बाल विकास को
प्राथमिकता देना। गरीब एवं आदिवासी, दलित वर्ग छात्र-छात्राओं को छात्रावास
व्यवस्था।
आर्थिक क्षेत्र :-संसाधन हीन राजभर समाज को अपना जीवन यापन एवं जीवन स्तर सुधारने के
लिये ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के वासियों के स्तर के अनुसार आर्थिक दृष्टि से
स्वावलंबी बनाने हेतु बेरोजगारी दूर करने के संसाधन जुटाना, गॉव में स्थानीय
संसाधनों के आधार पर कुटीर उद्योग स्थापित करना तथा प्रशिक्षण की व्यवस्था करना
अथवा रोजगारोन्मुख कार्यक्रमों में मदद। कृषकों को कृषि से जुड़े धंधों की जानकारी
देकर आय वृद्धि आदि अर्थात प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से गरीबों को रोजी-रोटी, कपड़ा
और मकान उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य।
सामाजिक क्षेत्र :-समाज की गरीब कन्याओं के विवाह हेतु आर्थिक मदद, सामूहिक विवाह
आयोजन, स्वास्थ्य शिविर यथा नेत्रदान, रक्तदान आयोजन, समाज में फैशन, फिजूल
खर्च, बाल विवाह, दहेज, विवाह में अपव्यय, मृतक भोज आदि ढेरों विकृत रीति रिवाजों,
कुरीतियों, मूढ मान्यताओं से मुक्ति दिलाने का प्रयास, उत्कृष्ट समाज सेवियों का
राजभर-रत्न, राजभर भूषण, राजभर बन्धु उपाधि से सम्मान, समाज के सबसे बुजुर्ग
किन्तु स्वस्थ दम्पत्ति का सम्मान आदि। वृद्धाश्रम, विधवा आश्रम, अनाथालय आदि
निर्माण संचालन एवं सुरक्षा। सैनिक विधवाओं को आर्थिक मदद।
स्वास्थ्य क्षेत्र :-चेरीटेबल अस्पताल संचालित कर सर्व समाज के गरीब तबके के लोगों का
स्वास्थ्य सुधार कार्य।
सांस्कृतिक क्षेत्र :- स्व जाति महापुरूषों की जयंती, पुण्यतिथि आदि का आयोजन, ऐतिहासिक
महापुरूषों के नाम पर शिक्षा के विभिन्न विषयों पर पदक आदि की व्यवस्था आदि।
सांस्कृतिक केन्द्रों के माध्यम से प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं गौरव का प्रचार
प्रसार। भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं प्रचार प्रसार।
ऐितहासिक एवं धार्मिक क्षेत्र :-स्व जाति इतिहास, ऐतिहासिक स्थल, हर प्रकार की ऐतिहासिक
धरोहर आदि को सुरक्षित रखने का कार्य, राजभर-शोध संस्थान, पुस्तकालय स्थापना,
स्व जाति महापुरूषों की जन्म स्थली, ऐतिहासिक स्थलों को पुण्य क्षेत्र (धर्म क्षेत्र),
पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करना, स्व-जाति महापुरूषों के प्रति श्रद्धा, विष्वास
एवं आराध्य भावना उत्पन्न करना, यत्र तत्र जनोपयोगी भवनों का निर्माण, महापुरूषों
की प्रतिमाओं की स्थापना आदि। आत्मिक विकास का प्रयास।
प्रचार प्रसार तंत्र एवं लेखन साहित्य सृजन क्षेत्र -
राजभर समाज के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, साहित्यिक, धार्मिक ग्रन्थों का प्रकाशन एवं
विक्रय व्यवस्था, प्रचार प्रसार में योगदान करने वाले प्रकाशनों के प्रकाशन में आर्थिक
एवं प्रचार प्रसार में सहयोग, लेखन में पुरूश्कार की व्यवस्था, साहित्यिक उपाधि प्रदाय
व्यवस्था।
5.4 सरकार अथवा सरकारों, गैर सरकारी / सरकारी संस्थाओं के जन कल्याणकारी कार्यों
में योगदान देना यथा प्राकृतिक आपदाओं, मानव जन्य आपदाओं से निपटने के लिए
सरकारी/गैर सरकारी को हर प्रकार का सहयोग करना। वृक्षारोपण, पर्यावरण शुद्धि में
सहयोग।
5.5 राजभर समाज के कल्याण के वे बिन्दु जो 5(1ं) से 5(4) तक के बिन्दु में समाहित नहीं
हो पाए किन्तु आवश्यक है (राजनैतिक क्षेत्र को छोड़कर) उन पर विचार मंथन कर
समाहित करना। राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य राजभर समाज
का सर्वांगीण विकास करना है। अतएव ट्रस्ट इसी दिशा में कार्य करेगा।
6. ट्रस्ट मण्डल के अधिकार एवं कर्तव्य :-
6.1 ट्रस्ट सदस्यों से सदस्यता शुल्क अथवा सम्पत्ति के रूप में दान प्राप्त कर सकेगा और
इस प्रकार से प्राप्त सदस्यता शुल्क-सम्पत्ति अनुसूचित बैंकों अथवा पोस्ट आफिस की
राशिवर्धक समयावधि योजनाओं में निवेश कर सकेगा और निवेश से प्राप्त अतिरिक्त
आय का उपयोग ट्रस्ट अपनी इच्छा एवं निर्णय के अनुसार ट्रस्ट के उद्देश्य की पूर्ति
के लिए कर सकेगा। इसमें धनराशि का उपयोग तो निहित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
कर सकेगा किन्तु प्राप्त चल-अचल सम्पत्ति को मूल सम्पत्ति की तरह मान्यता होगी।
6.2 ट्रस्ट अपने कार्य, कार्यक्रमों एवं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु शासन से भी अनुदान राशि
अथवा चल अचल सम्पत्तियों को प्राप्त कर सकेगा किन्तु शासन का सहयोग
सामान्यतः निःशर्त होने की अवस्था में ही स्वीकार किया जाएगा। शासन से भूमि
इत्यादि अचल सम्पत्ति की प्राप्ति पर इस हेतु निर्धारित शुल्क का भुगतान ट्रस्ट द्वारा
किया जाएगा।
6.3 यह कि ट्रस्ट अपने कार्य विधि संचालन हेतु नियम, उपनियम बना सकेगा और उनमें
आवश्यक परिवर्तन भी कर सकेगा किन्तु ऐसे नियम/उपनियम बनाने में घोषित
उद्देश्यों की परिधि का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
6.4 यह कि ट्रस्ट द्वारा उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भवन/भवनों का निर्माण किया जा सकेगा
अथवा भवन/भवनों को सामंजस्य पूर्वक नियमानुसार स्वेच्छा से अधिकृत किया जा
सकेगा अथवा दान स्वरूप अथवा अन्य सुसंगत नियमों के अर्न्तगत ट्रस्ट सम्पत्ति के
अर्न्तगत लिया जा सकेगा। ट्रस्ट के उद्देश्य पूर्ति हेतु भवन इत्यादि किराए पर भी
लिए जा सकेंगे। ट्रस्ट के उद्देश्य की पूर्ति हेतु आवश्यकता पड़ने पर बैंक/वित्तीय
संस्थानों से ब्याज मुक्त या ब्याज युक्त ऋण ट्रस्ट की सम्पत्तियों के तारण पर या
अन्य रूप से प्राप्त किया जा सकेगा। परन्तु बैंकों अथवा वित्तीय संस्थाओं के अलावा
अन्य व्यक्तियों से भी ब्याज मुक्त या ब्याज युक्त ऋण लिया जा सकेगा परन्तु इस
हेतु ट्रस्ट की किसी संपत्ति को बंधक नहीं रखा जा सकेगा। यह कि ट्रस्ट अपने
उद्देष्यों की पूर्ति हेतु जमीन जायदाद इत्यादि स्थायी एवं अन्य अस्थायी सम्पत्तियों
का क्रय कर सकेगा।
6.5 यह कि ट्रस्ट अपने कार्यक्रमों उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न समितियों एवं उप
समितियों का निर्माण भी कर सकेगा जिसमें ट्रस्टी /ट्रस्टियों के अतिरिक्त अन्य
सक्रिय सेवाभावी, धीर गंभीर, संयमी, निस्पृह, विद्वान, समाज में अच्छी छबि वाले
सज्जनों का भी समावेश किया जा सकेगा। उन समितियों/उपसमितियों हेतु
नियम/उपनियम ट्रस्ट मण्डल के द्वारा बनाए जा सकेंगे जो समितियों/उपसमितियों
हेतु पूर्णतः बन्धन कारक होंगे। समितियों/उपसमितियों को भंग करने अथवा पुर्नगठन
करने का अधिकार ट्रस्ट मण्डल को होगा जिसे समितियों/उप समितियों के
पदाधिकारी चुनौती नहीं दे सकेंगे।
6.6 यह कि यह ट्रस्ट निर्धारित नियमों एवं मर्यादाओं के अनुरूप अपने समान उद्देश्यों के
अनुरूप अपने समान उद्देश्यों वाले स्वजाति ट्रस्टों/संगठनों को आर्थिक एवं अन्य
सहयोग अपने समान उद्देश्यांं की पूर्ति हेतु अनुदान के रूप में दे सकेगा एवं ऐसे ही
ट्रस्ट आर्थिक सहयोग एवं अनुदान ले सकेगा।
6.7 यह कि ट्रस्ट सामान्यतः अपना कार्य भावनाशील समयदानियों द्वारा चलाएगा और क्षेत्र
से समयदानी खोजने, प्रशिक्षित करने तथा नियोजित करने के लिए प्रयत्नशील रहेगा
परन्तु आवश्यकतानुसार कार्यकर्ताओं एवं कर्मचारी की नियुक्ति भी कर सकेगा। ऐसे
कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने, पदच्युत करने , पद से पृथक करने अथवा निलंबन
करने का अधिकार भी ट्रस्ट मण्डल को होगा।
6.8 यह कि उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ट्रस्ट मण्डल ट्रस्ट की शाखा/शाखाओं,
समाज के विभिन्न संगठनों को भी प्रेरित करेगा एवं उनके आग्रह पर निर्धारित
रूपरेखा के अधीन रहते हुए, प्रत्येक कार्यक्रम के लिए स्थानीय आवश्यकतानुसार
कार्ययोजना बनाने, योजना को क्रियान्वित करने/कराने कार्यक्रम के संचालन के लिए
समुचित मार्गदर्शन हेतु प्रषिक्षण की व्यवस्था बनाने तथा व्यवहारिक अनुसंधान करने
का भी कार्य ट्रस्ट करेगा तथा आवश्यक हुआ तो अपने व्यय फण्ड से धनराशि भी
उपलब्ध करायेगा।
6.9 यह कि ट्रस्ट इस बात का विशेष ध्यान रखेगा कि ट्रस्ट के उद्देश्यों तथा कार्यक्रमों
की पूर्ति तथा सफलता के लिए जन जागरण, प्रचार प्रसार एवं शिक्षण प्रशिक्षण की
व्यवस्था पर अधिकाधिक शक्ति लगाई जाए। ट्रस्ट अपनी क्रियाविधि, कार्यकलापों एवं
प्रगति की जानकारी समय-समय पर जयंतियों, सम्मेलनों अथवा किसी विशेष कार्यक्रमों
में उपस्थित स्वजाति समूह में अपने प्रतिनिधि के माध्यम से अथवा ऐसे माध्यम से देता
रहे जिससे अधिक से अधिक लोगों को इसकी जानकारी हो सके एवं समूह द्वारा किए
गए उचित सुझावों पर भी विचार करे। समाज अथवा समाज के अन्य संगठनों से
संवादहीनता की स्थिति न रहे, इसके लिए ट्रस्ट विशेष ध्यान रखेगा। चूकिं यह पुण्यार्थ
प्रकृति का ट्रस्ट है, अतएव स्व समाज के हित को प्राथमितकता देते हुए बिना किसी
जाति, लिंग, सम्प्रदाय भेद के सार्वजनिक हित के भी काम करेगा।
6.10 ट्रस्ट, ट्रस्ट मण्डल की विधिवत सर्वानुमति से प्रस्ताव पास कर अनुपयोगी चल-अचल
सम्पत्ति का विक्रय कर उपयोगी चल-अचल सम्पत्ति क्रय कर सकेगा अथवा
अनुपयोगी चल-अचल सम्पत्ति का विक्रय कर उस नगद राशि को सुरक्षित फण्ड में
निवेश कर सकेगा।
6.11 ट्रस्ट मण्डल को ट्रस्टीगण या कार्यकर्ताओं के बीच कार्य वितरण का अधिकार होगा।
6.12 ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ट्रस्ट मण्डल को भारत में कहीं भी ट्रस्ट की
शाखाएॅ खोलने या बन्द करने का अधिकार होगा।
7. ट्रस्ट फण्ड :-यह कि फण्ड के रूप में ट्रस्ट के संस्थापक/संस्थापकों द्वारा रूपयें 18500 राशि
ट्रस्ट को प्रदान की गई है और आशा की जाती है कि यह पूंजी सदैव बढ़ती रहेगी। अपने आय के
उचित स्र्रोतों को ट्रस्ट विकसित करता रहेगा और घोषित उद्देश्यों के लिए भावनापूर्वक दिए गए
सदस्यता शुल्कों, दानों, उपहारों, अनुदानों इत्यादि को भी स्वीकार करेगा। ट्रस्ट फण्ड ट्रस्ट की
सम्पत्ति निम्नानुसार रहेगी।
7.1 सुरक्षित फण्ड या मूल धन राषि :-
7.1(क) संस्थापक/संस्थापकों द्वारा प्रदत्त नगद धनराशि या चल-अचल संपत्ति।
7.1(ख) सदस्यों से सदस्यता शुल्क रूप में प्राप्त नगद राशि या चल-अचल संपत्ति। सदस्यों
का वर्गीकरण निम्नानुसार है। (01-01-2011 से लागू संशोधित नाम एवं राशि)
सामान्य सदस्य (ग्रामीण) - दस रूपए प्राथमिक सदस्य- पाँच सौ रुपये
सामान्य सदस्य (शहरी) - एक सौ रूपए सामान्य सदस्य- एक हजार रुपये
विशिष्ट सदस्य - एक हजार रूपए विशिष्ठ सदस्य- पाँच हजार रुपये
अति विशिष्ट सदस्य - पॉच हजार रूपए अतिविशिष्ठ सदस्य-ग्यारह हजार रुपये
परम विशिष्ट सदस्य - दस हजार रूपए परमविशिष्ठ सदस्य-इक्कीस हजार रु.
संरक्षक सदस्य - पच्चीस हजार रुपये संरक्षक सदस्य- इन्क्यावन हजार रु.
सदस्यता शुल्क सदस्यों को अपने जीवन काल में एक बार ही देना होगा। विशिष्ट,
अति विशिष्ट एवं परम विशिष्ट सदस्य यदि एकमुश्त राशि जमा नहीं कर सकते तो
उन्हें किश्तों में सुविधानुसार एक वर्ष के अन्दर राशि जमा करनी होगी। सदस्य कभी
भी अपनी सदस्यता से उच्च सदस्यता श्रेणी प्राप्त करने के लिए अन्तर की राशि जमा
कर उच्च सदस्यता श्रेणी प्राप्त कर सकते हैं।
7.1(ग) किन्हीं भी दान दाताओं, सरकारी/गैर सरकारी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों आदि से
ट्रस्ट फण्ड में प्राप्त चल-अचल सम्पत्ति अथवा सुरक्षित फण्ड से अभिवृद्धि के रूप में
अर्जित चल-अचल सम्पत्ति अथवा पूर्णतः अनुपयोगी होने पर ट्रस्ट मण्डल की
सर्वानुमति से विक्रय की गई चल-अचल सम्पत्ति से प्राप्त धनराशि से क्रय पूर्णतः
उपयोगी चल-अचल सम्पत्ति। उपरोक्त ट्रस्ट फण्ड केवल ट्रस्ट फण्ड की
अभिवृद्धि/बढ़ोतरी के लिए निवेश किया जा सकेगा, किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए
व्यय नहीं ताकि मूल ट्रस्ट फण्ड सदैव सुरक्षित रहे और उसके निवेश से प्राप्त
अतिरिक्त राशि व्यय योग्य फण्ड में हस्तान्तरित कर उद्देश्य की पूर्ति हेतु उपयोग
किया जा सके।
7.2 व्यय योग्य ट्रस्ट फण्ड :- निम्नानुसार प्राप्त ट्रस्टफण्ड की गणना, व्यय योग्य ट्रस्ट फण्ड में
की जा सकेगी।
7.2(क) सुरक्षित फण्ड या मूलधन के निवेश से प्राप्त बढ़त राषि।
7.2(ख) किन्हीं भी दानदाताओं, सरकारी/गैर सरकारी संस्थाओं, राजनेता/राजनैतिक संगठन,
सामाजिक संगठन/संगठनों, सरकार/सरकारों से नगद के रूप में प्राप्त दान, उपहार,
अनुदान इत्यादि।
7.2(ग) किसी मद या कार्यक्रम विशेष या प्रयोजन में व्यय व्यवस्था के लिए समय-समय पर
किसी से भी लिया गया चन्दा या सहायता, अनुदान, उपहार राशि आदि।
7.3 संस्थापक, ट्रस्टी, संरक्षक व उनसे संबंधितों को ट्रस्ट से लाभ अर्जन पर
प्रतिबंध-
संस्थापक ट्रस्टी, संरक्षक या उनके परिवार वाले या उनसे सबंधित व्यक्ति ट्रस्ट के
लिए की जा रही सेवाओं के लिए या उनके द्वारा स्वेच्छा से किये जा रहे किसी भी
प्रकार के व्यय को ट्रस्ट से वापिस पाने को अपना अधिकार या पात्रता नहीं समझेंगे
और न ही कोई ट्रस्टी, ट्रस्ट के नाम पर व्यक्तिगत निर्णय लेकर ट्रस्ट को हानि
पहुॅचायेंगे।
8. ट्रस्ट फण्ड का निवेषः-ट्रस्ट मण्डल समय-समय पर सुरक्षित ट्रस्ट फण्ड का निवेश
अनुसूचित बैंकों, पोस्ट आफिस तथा आयकर अधिनियम या परिवर्तित प्रावधानों के अर्न्तगत निर्दिष्ट
मदों में ही कर सकेगा। इन विनियोगों का संचालन जिस प्रकार ट्रस्ट के बैंकिंग खातों का संचालन
किया जाता है, उसी प्रकार किया जा सकेगा। ट्रस्ट फण्ड के मूल धन से प्राप्त ब्याज से ट्रस्ट के
उद्देश्यां की पूर्ति हेतु समय-समय पर अचल सम्पत्तियों का क्रय एवं निर्माण भी किया जा
सकेगा। सुरक्षित फण्ड की चल-अचल सम्पत्ति के निवेश से, यदि सुरक्षित फण्ड की धनराशि की
तरह ही यदि आय का साधन बनता है तो ट्रस्ट आय प्राप्त करने के लिये चल-अचल सम्पत्ति का
निवेष भी कर सकेगा।
9. बैंक खाते एवं उनका संचालनः-ट्रस्ट के बैंक खाते, ट्रस्ट के नाम पर किसी भी राष्ट्रीयकृत,
अनुसूचित बैंक अथवा पोस्ट आफिस में खोले जाएंगे। इनका संचालन मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी/मुख्य
ट्रस्टी एवं सहायक प्रबंधक ट्रस्टी दोनों में से किसी एक एवं शेष ट्रस्टियों में से ट्रस्ट मण्डल द्वारा
अधिकृत दो ट्रस्टियों में से किसी एक ट्रस्टी के संयुक्त हस्ताक्षरों से किया जाएगा। इस हेतु मण्डल
अपनी सभा से दो ट्रस्टियों को सर्वानुमति अथवा बहुमत से अधिकृत करेगा। आवश्यकता पड़ने पर
ट्रस्ट मण्डल अधिकृत ट्रस्टियों में फेरबदल भी सर्वानुमति अथवा बहुमत से कर सकेगा। ट्रस्ट की
चल सम्पत्तियों, सोने-चॉदी अथवा बहुमूल्य धातु या बहुमूल्य नगीनों आदि के जेवरात वगैरह उनकी
सुरक्षा के लिए बैंक में लाकर किराए पर लिए जा सकेंगे तथा इनका संचालन भी बैंक खातों के
संचालन मुताबिक ही किया जा सकेगा। ट्रस्ट की शाखा/शाखाओं को ट्रस्ट मण्डल की अनुमति से
बैंक खाते खोलने एवं उनके संचालन हेतु विभिन्न पदाधिकारियों की नियुक्ति भी संभव हो सकेगी।
शाखा/शाखाएॅ अधिकृत क्षेत्र से सदस्यों द्वारा प्राप्त सदस्यता शुल्क अनुदान राशि सुरक्षा की दृष्टि
से इन खातों में जमा कर सकेगे और हर तीन माह में (जनवरी से मार्च, अप्रेल से जून,
जुलाई से सितंबर, अक्टूबर से दिसंबर) जमा हुई मूल सदस्यता शुल्क राशि, अनुदान राशि, वांछित
विवरण सहित प्रधान कार्यालय को भेजेंगे ताकि मण्डल, उस राशि का निवेष कर सके। शाखा/
शाखाओं द्वारा प्रधान कार्यालय में जमा की गई मूल राशि के निवेश से प्राप्त ब्याज का पचास
प््रतिशत शाखा/शाखाओं को प्रेषित किया जाएगा, जिसे शाखा/शाखाएॅ अपने खातों में जमा करेंगे,
पूरा हिसाब किताब रखेंगी और ट्रस्ट द्वारा निर्धारित कल्याणकारी कार्यों में व्यय कर सकेंगी। ट्रस्ट
मण्डल ब्याज वितरण निर्धारित वित्त वर्ष के अनुसार वर्ष में एक बार कर सकेगा।
10.ट्रस्ट के आय व्यय एवं सम्पत्तियों से संबंधित :-
यह कि चूंकि यह सेवा भावना से ओतप्रोत समाज कल्याणकारी एक चेरीटेबल प्रकृति का ट्रस्ट है
जो अपने स्थापित उद्देश्यां एवं कार्यक्रमों हेतु दान भी संग्रहित करेगा। अतः इसका सही-सही
हिसाब किताब रखना अति आवश्यक होगा। हिसाब किताब में मूल सदस्यता राशि, दान-अनुदान
से प्राप्त राषि, किसी कार्यक्र्रम विषेष के लिए अलग से लिया गया चंदा, निवेष से प्राप्त ब्याज
राशि आदि का स्पष्टतः हिसाब किताब रखना आवश्यक होगा। आय-व्यय एवं सम्पत्ति के स्थिति
विवरण का ब्यौरा हर वर्ष बताना आवश्यक होगा। यह वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बताया जाएगा।
हर वर्ष उसकी जॉच पड़ताल ट्रस्ट मण्डल द्वारा नियुक्त प्रशिक्षित लेखाकार (चार्टड एकाउन्टेन्ट) से
कराई जाएगी। कोई भी ट्रस्टी/ट्रस्ट का हिसाब किताब अपने पास नहीं रखेगा। ट्रस्ट का हिसाब
किताब ट्रस्ट के कार्यालय में ही रखा जाएगा। ट्रस्ट का सामान कोई भी ट्रस्टी व्यक्तिगत उपयोग
में नहीं लेगा। ट्रस्ट की सम्पत्ति परमात्मा अथवा जनता जनार्दन की सम्पत्ति मानकर उसकी
पवित्रता बनाई रखी जाएगी। ट्रस्ट की सम्पत्ति हेतु एक स्टाक रजिस्टर रखा जाएगा, जिसमें सभी
सम्पत्तियों का सही-सही ब्यौरा रहेगा। यह स्टाक रजिस्टर मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी एवं सहायक
प्रबंधक ट्रस्टी द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षर कर समय-समय पर प्रमाणित किया जाएगा।
यह कि ट्रस्ट का सम्पूर्ण हिसाब-किताब (आय-व्यय ब्यौरा एवं स्थिति विवरण) एवं चल अचल
सम्पत्तियों का स्टाक रजिस्टर ट्रस्ट की मीटिं्रग में रखा जाएगा। ट्रस्ट मण्डल के द्वारा स्वीकृति के
पश्चात ट्रस्ट का हिसाब किताब सामान्य सभा की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। यह हिसाब
किताब सामान्य सभा के अनुमोदन के पश्चात ट्रस्ट के संस्थापक/संस्थापकों को प्रेषित कर दिया
जाएगा।
यह कि ट्रस्ट के समस्त हिसाब किताब बही खातों के देखरेख सुव्यवस्था एवं सुपर विजन हेतु
मुख्य ट्रस्टी, किसी भी ट्रस्टी को नियुक्त कर सकेगा। वैसे यह कार्य स्वयं मुख्य ट्रस्टी (मुख्य
प्रबंधक ट्रस्टी) भी कर सकेगा। ट्रस्ट के प्रतिवर्ष के बजट प्रोग्रामिंग हेतु ट्रस्ट मण्डल की बैठक में
चर्चा-विचारण हेतु रखा जाएगा एवं तत्पश्चात अनुमोदित एवं स्वीकृत बजट को ट्रस्ट के कार्यक्रम
उद्देश्यां हेतु लगाया जाएगा।
यह कि ट्रस्ट की किसी भी अचल सम्पत्ति का हस्तान्तरण किसी कारणवश अनिवार्य समझा जा
रहा हो तो उससे संबंधित न्यास अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ट्रस्ट मण्डल द्वारा सर्वानुमति
से उक्त अचल सम्पत्ति का हस्तान्तरण किया जा सकेगा।
11. ट्रस्ट की कानून संबंधी व्यवस्थाः-यह कि ट्रस्ट अपने को राज्य में लागू सार्वजनिक
न्यास अधिनियम एवं विभिन्न कानूनों के अंर्तगत जैसे आयकर विभाग एवं अन्य सरकारी विभाग में
टावश्यकतानुसार पंजीकृत कराएगा तथा आयकर आदि रिटर्न समय-समय पर दाखिल करेगा।
लागू होने वाले अन्य सरकारी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करता रहेगा। इस हेतु ट्रस्ट
समय-समय पर कानूनविदों की सलाह एवं मार्गदर्शन भी प्राप्त करेगा।
12. ट्रस्ट की बैंठकें :-
12.1 ट्रस्ट मण्डल की बैंठक - यह कि ट्रस्ट के कार्यों के संचालन हेतु मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी
समय-समय पर आवष्यकतानुसार ट्रस्ट मण्डल की बैंठकें आयोजित करेंगे। परन्तु यह
बैठक ़त्रैमास में एक बार अवष्य होगी। इस प्रकार वर्ष में ट्रस्ट मण्डल की चार बैंठकें
अवश्य होंगी, जिसकी सूचना नियमित समय के 7 दिन पूर्व सभी ट्रस्टी गण को मुख्य
प्रबंधक ट्रस्टी द्वारा भेजी जाएगी। संभव हो तो ट्रस्टी की मीटिंग ट्रस्ट के कार्यालय
में ही ली जायेगी। इस मीटिंग में आवश्यक समझे जाने पर ट्रस्टी गण के अतिरिक्त
अन्य परिजनों को आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया जा सकेगा। ट्रस्ट मण्डल द्वारा
गठित समिति/उप समितियों के पदाधिकारी/पदाधिकारियों, सदस्य/सदस्यों को भी
ट्रस्ट मण्डल की मीटिंग में आवश्यकतानुसार आमंत्रित किया जा सकेगा। मीटिंग अति
टावश्यक होने पर ट्रस्टियों की सहमति से पॉच दिन की पूर्व सूचना के बगैर भी बुलाई
जा सकेगी। आवश्यक होने पर प्रस्ताव को ट्रस्टियों के बीच वितरण एवं अनुमोदन से
भी पारित किया जा सकेगा। ट्रस्ट की मीटिंग के कोरम पूर्ति हेतु दो तिहाई ट्रस्टी
गणों की उपस्थिति अनिवार्य है किन्तु यदि कोरम पूरा नहीं होता तो नियत तिथि की
मीटिंग समय से आधे घंटे तक स्थगित की जाएगी। आधे घंटे पष्चात फिर मीटिंग की
कार्रवाई शुरू की जा सकेगी। मीटिंग की कार्रवाई पुनः शुरू होने पर यदि कोरम पूरा
नहीं होता तो ऐसी दशा में मीटिंग स्थगित नहीं होगी किन्तु कम से कम आधे ट्रस्टी
गणों की उपस्थिति अनिवार्य होगी अन्यथा मीटिंग अगली तिथि की सूचना तक स्थगित
हो जायेगी। यह कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों की संख्या विषम में है। अतः उपरोक्तानुसार दो
तिहाई अथवा आधे की गणना हेतु एक से कम वाली संख्या को एक माना जायेगा।
यह कि मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी ट्रस्ट की सभी मीटिंग का अध्यक्ष होगा। मुख्य प्रबंधक
ट्रस्टी की अनुपस्थिति में सहायक प्रबंधक ट्रस्टी ट्रस्ट की मीटिंग का अध्यक्ष होगा।
दोनों की अनुपस्थिति में उपस्थित ट्रस्टी अपने में से किसी एक को उस मीटिंग के
लिए सर्वानुमति अथवा बहुमत से अध्यक्ष चुन लेंगे। किसी भी मीटिंग में मत विभाजन
की स्थिति में यदि किसी प्रस्ताव के पक्ष विपक्ष में बराबरी के मत होते हैं, तो मीटिंग के
अध्यक्ष को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा।
यह कि ट्रस्ट की मीटिंग में पारित प्रस्तावों एवं निर्णयों को कार्रवाई रजिस्टर में दर्ज
किया जावेगा। मीटिंग के लिये गये निर्णयों पर ट्रस्टीगण सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप
से निर्णयों के क्रियान्वयन हेतु सदैव प्रयासरत रहेंगे।
12.2 सामान्य सभा की बैठक :- सामान्य सभा की सामान्यतः छः माही में बैठक अवश्य होगी
परन्तु संयुक्त समन्वय समिति की संस्तुति पर यह बैठक आवष्यकतानुसार कभी भी
बुलाई जा सकती है। सामान्य सभा की बैठक मुख्य ट्रस्टी /मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी अथवा
उसके नामित व्यक्ति द्वारा बुलाई व संचालित की जायेगी। सामान्य सभा ट्रस्ट के
कार्यकलापों की समीक्षा करेगी और उसके उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक
सुझाव देगी।
12.3 संयुक्त समन्वय समिति की बैठकः- संयुक्त समन्वय समिति की बैठक सामान्यतः
तिमाही होगी। समिति की बैठक मुख्य ट्रस्टी (मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी) अथवा उसके नामित
व्यक्ति द्वारा बुलाई व संचालित की जाएगी।
13. ट्रस्ट के विलय संबंधी :- यह कि आवश्यकता होने पर ट्रस्ट मण्डल द्वारा स्वीकृत
समान उद्देश्य वाले किसी अन्य स्वजाति ट्रस्ट का विलय इस ट्रस्ट में कानूनी औपचारिकताएॅ
पूर्ण कर किया जा सकेगा। इसी प्रकार आवश्यक होने पर ट्रस्ट मण्डल द्वारा स्वीकृत इस ट्रस्ट
का विलय समान उद्देष्य वाले किसी अन्य स्वजाति ट्रस्ट में कानूनी औपचारिकताएॅ पूर्ण कर
लिया जावेगा। इस विलय के लिए सर्व संस्थापक/संस्थापकों की सहमति आवश्यक है। यदि
संस्थापक/संस्थापकों की मृत्यु हो चुकी हो तो उनके उत्तराधिकारी/उत्तराधिकारियों से सहमति
लेनी होगी। विलय की स्थिति में विलीन होने वाले ट्रस्ट की सारी चल एवं अचल संपत्ति विलेय
ट्रस्ट की हो जायेगी एवं दस्तावेज में आवश्यक परिवर्तन विलेय ट्रस्ट के पक्ष में करा लिए जायेंगे।
14 ट्रस्ट के असफल होने, अराजकता उत्पन्न होने पर ट्रस्ट फण्ड का
उपयोगः-यदि किसी कारणवश ट्रस्ट में अराजकता उत्पन्न होती है और ट्रस्ट असफल होता
है एवं उसमें सुधार की कोई गुंजाईश नहीं रहती तब राष्ट्रवीर महाराजा सुहेल देव ट्रस्ट की
सम्पूर्ण मूल धनराशि/अतिरिक्त राशि/चल-अचल सम्पत्ति को मूलधन मानकर दीर्घ अवधि के
लिए बैंक, पोस्ट आफिस में निवेश किया जाएगा और अन्य प्रसिद्ध संस्थाओं यथा साहित्य
अकादमी, ज्ञानपीठ आदि के समान राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव भर पुरूस्कार देने की योजना
प्रारंभ कर दी जाएगी एवं ऐसी योजना के लिए गैर सरकारी स्तर पर जो प्रावधान होगे वह
अपनाए जायेंगे।
15. ट्रस्ट संस्थापक/संस्थापकों घोषणाः-यह कि उपर्युक्त राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव
ट्रस्ट के संस्थापक यह घोषणा करता हूॅ/करते हैं कि मैंने/हमने उपर्युक्त ट्रस्ट का गठन एवं
निर्माण बिना किसी बाहरी दबाब के स्वस्थ मनःस्थिति से आज दिनॉक 09-02-2007 को मृगनयनी भवन (सामुदायिक भवन) सिहोरा, जिला जबलपुर (म.प्र.) 483225 भारत में बैठक कर किया है जो लिखित रूप में उपरोक्तानुसार है।
क्रमांक संस्थापक/संस्थापकों के नाम पूरा पता हस्ताक्षर
1 आचार्य शिवप्रसाद सिंह राजभर म.नं. 2/234, आनंद भवन, सिहोरा
जबलपुर (म.प्र.) 483 225
2 श्री शिवपरसन राय बी-28, कमला नेहरु नगर, खुर्रम
पूर्व कृषि निर्देषक नगर, लखनउ (उ.प्र.) 226022
3 डॉ. धनेश्वर राय एल-6/192, सेक्टर एम अलीगंज
संयुक्त निर्देषक लखनउ (उ.प्र.) 226024
4
श्री सुभाष कुमार प्रसाद दूरदर्शन केन्द्र, मउ (उ.प्र.)
वरिष्ठ अभियांत्रिकी सहायक
5 श्री बीरबल राम ग्रा.पो. अनौनी, जि. गाजीपुर (उ.प्र.)
(मा.वा.आ.)
6 श्री यदुनंदन प्रसाद ग्राम बजरिया, पो. सलेमपुर,
(रिटा. दरोगा) जिला देवरिया (उ.प्र.)
7 श्री हरिलाल भारशिवा म.नं. 20, षंकर कालोनी, निकट फलाई
आयकर अधिकारी ओवर चौक, ओल्ड डी.सी. रोड,
सोनीपत (हरियाणा)
8 श्री राजेश कुमार सिंह म.नं. 93, श्यामापल्ली कालोनी,
(बी.एच.ई.एल) क्र्रस्टल केम्पस के पास, खजूरी
कला, पो. पिपलानी, भोपाल (म.प्र.)
9 श्री जगदीश चौधरी मार्फत-शर्मा खादी भंडार,
रिटा. प्रधान अध्यापक सिंहेष्वर, जिला मधेपुरा (बिहार)
10 श्री वी. पी. राज बैकुण्ठनगर, भिलाई, दुर्ग (म.प्र.)
(अध्यापक)
11. श्री गोरेलाल पटैल पाठक वार्ड, कंदेली, नरसिंहपुर (म.प्र.)
पूर्व पार्षद
12. श्री श्रीराम राजभर ग्रा.पो. दौलतनगर गाजीपुर (उ.प्र.)
13. श्री गोपीलाल चौधरी राजविराज, नगरपालिका-7,
रिटा. पुलिस इंस्पेक्टर लीलजाटोल, जिला सप्तरी, नेपाल
14 श्री भगवत सिंह राजभर राजविराज, नगरपालिका-7,
रिटा. प्रधान अध्यापक लीलजाटोल, जिला सप्तरी, नेपाल
15 श्री लौहर राजभर हरिओम धान्य भण्डार के सामने,
व्यवसायी पोखरण रोड, नं. 2, ठाणे, महाराष्ट्र
16. श्री श्यामलाल राजभर (लेखाधिकारी) म.नं. 2278, दुर्गा मन्दिर के पास, बजरंगनगर
रॉँझी, पो-व्हीकल फेक्टरी, जबलपुर म.प्र.
17-श्री तूफानी राजभर शास्त्री मार्केट, भिलाई, (छ.ग.)
18-श्री कमला राजभर (रिटा. फौजी) प्लाट नं. 10, न्यू आजादनगर, पब्लिक स्कूल ,सतभरी रोड, कानपुर उ.प्र.
19-श्री अच्छेलाल राजभर (मलेरिया इन्स्पेक्टर) ग्राम-कछपुरा, पो-गोसलपुर, तह-सिहोरा, जिला-जबलपुर म.प्र.
20- श्री श्यामलाल राजभर (फोन मेकेनिक) प्लाट नं. 32ए, विमल स्कूल के सामने वाली गली, राजनगर, कर्रही, कानपुर उ.प्र.
21- श्री शिवबालक राजभर (रिटायर लेखाधिकारी), म.नं.2/230, ए.जी. कालोनी, पो-आशियाना नगर ,पटना बिहार
22- श्री अंजूकुमार राजभर, ग्राम-मोहनिया, पोस्ट-गांधीग्राम, जिला-जबलपुर म.प्र.
23- श्री रामदयाल राजभर (इनकी मृत्यु हो चुकी है), ग्राम-पो-बरहटा, जिला-नरसिंहपुर म.प्र.
24-श्री रामभजन राजभर ग्राम-मेहियापार, पो-सारैन अहरौला , जिला-आजमगढ़ उ.प्र.
25-श्री रामअधार राजभर ग्राम-बनजरिया, पो-सलेमपुर, जिला-देवरिया उ.प्र.
26-श्री बद्रीसिंह राजभर फूलपुर इलाहाबाद उ.प्र.
27- श्री रामलखन भारद्वाज शिक्षक , एस.एफ. 1053, एम.पी.ई.बी. कालोनी, सारणी जिला-बैतूल म.पं्र.
28-श्री उपेन्द्रनारायण मण्डल, मार्फत-शर्मा खादी भण्डार, सिंहेश्वर जिला-मधेपुरा बिहार
29-श्री दिनेश श्रीनारयण भारद्वाज, ग्राम-पो- माडगी, तह-तुमसर, जिला-भण्डारा (महाराष्ट्र)
30-श्री हरीनाथ राजभर (इनकी मृत्यु हो चुकी है।),428, जूनियर एम.आई.जी., सेक्टर-1, पानी की टंकी के पास, पं. दीनदयाल उपाध्यायनगर, रायपुर छ.ग.
31-श्री रामबृज राजभर, ग्राम-कुरिहर, पो-उदियावां(बरदह), जिला-आजमगढ़ उ.प्र.
32-श्री चन्द्रमा भारद्वाज, बी.नाग एस.टी.डी. आजाद चौक, किरोड़ीमलनगर ,रायगढ़ छ.ग.
33-श्री छोटेलाल राजभर ग्राम-मानगांव, पो-बंधा, तह-सिहोरा, जिला-जबलपुर म.प्र.
34-श्री ऋषिकेश राजभर ग्राम-अहियाई,पो-सादात (अकबरपुर) जिला-गाजीपुर उ.प्र.
35-श्री सुरेन्द्र चौधरी राजभर, लीलजाटोल, राजविराज वार्ड नं. 7, सप्तरी नेपाल देश
36-श्री सूर्यनारायण मण्डल, ग्राम-पो-लालपुर, बरोपट्टी, अंचल-सिंहेश्वर, जिला-मधेपुरा बिहार
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टिप्पणी- नियमावली कम्पोज करने में पूरी सावधानी बरती गई है। यदि किसी प्रकार की भूल-चूक हो तो मूल प्रति में है वही सही माना जायेगा। 25 दिसम्बर 2010 की बैठक में जो संशोध हुए हैं उसकी जानकारी जनवरी 2011 के अंक में संक्षिप्त में प्रकाशित कर दी गई है। जिसके अनुसार न्यूनतम सदस्यता शुल्क प्राथमिक सदस्य पांच सौ रुपये, सामान्य सदस्य एक हजार रुपये, विशिश्इ सदस्य पांच हजार रुपये, अति विशिष्ठ सदस्य ग्यारह हजार रुपये, परम विशिष्ठ सदस्य इक्कीस हजार रुपये,एवं संरक्षक सदस्य इन्क्यावन हजार रुपये होगा। ऐसे संस्थापक सदस्य जो प्राथमिक सदस्य भी नहीं बने मतदान से वंचित या विलोपित समझे जायेंगे। संशोधन जनवरी 2011 से लागू होगा। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें।
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संक्षिप्त परिचय
(1) नाम -ः आचार्य शिवप्रसादसिंह राजभर ‘‘राजगुरु’’
(2) जन्म तिथि-ः 01-01-1945 ई.
(3’) जन्म स्थान -ः ग्राम-झाँसी, पोस्ट-ः गोसलपुर, तह-ः सिहोरा, जिला- जबलपुर म.प्र. 483222
(4) शिक्षा-ः एम.ए. (हिन्दी ,, भाषाविज्ञान, समाजशास्त्र) जबलपुर विश्वविद्यालय जबलपुर,
(5) अन्य-ः रामायणाचार्य (ग्वालियर) , साहित्य महामहोपाध्याय (डीलिट्) अखिल भारतीय विद्वत्परिषद अयोध्या आदि।
(6) तीन दर्जन से अधिक ग्रन्थों का सृजन (सभी विधाओं में ) वर्ष 1958 ई. से
(7) अनेक सम्मानोपाधियों से सम्मानित
(8) संस्थापक-सम्पादक राजभर मार्तण्ड मासिक पत्रिका , 26 वां वर्ष प्रारम्भ ,मुख्य ट्रस्टी/अध्यक्ष राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट, पूर्व प्रान्तीय अध्यक्ष (म.प्र.)-आल इण्डिया वोटर्स राईट्स एण्ड वेल्फेयर एसोसियेशन , पूर्व प्रादेशिक सलाहकार (म.प्र.)-ः न्यूज पेपर्स एण्ड मैगजीन्स फेडरेशन आफ इण्डिया, , पूर्व अध्यक्ष म.प्र.रा. महासभा इत्यादि इत्यादि ।
(9) केन्द्रीय सरकार के अर्द्धशासकीय उपक्रम से वर्ष 2004 ईस्वी में सेवा निवृत्त
(10) सम्प्रति- समाज सेवा, साहित्य सृजन , पत्रिका सम्पादन
(11) पत्र व्यवहार का स्थायी पता-ः आनन्द भवन ,(सहकारी दाल मिल के पीछे) , सिहोरा, जिला- जबलपुर म.प्र. 483225 फोन नं. 07624-230685 , मो.नं. 09424767707 म्ड।प्स्. ंबींतलंतंरइींततंरहनतन230/हउंपसण्बवउ ए
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