मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

suhel dev ji ki aarti



 विरचित सुहेलदेव जी की आरती


[सुहेलदेव चालीसा प्रकाशित सन १९९७ पृष्ठ १२ से ]
जय जय वीर सुहेलदेव अक्षर अवतारी /
राजाधिराज करूँ आरती तुम्हारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,,
जननी जय लक्ष्मी ,जय जनक श्री बिहारी /
रूपवान ,गुण निधान,छाजित छबि न्यारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,
भाला ,तूणीर ,तीर ,खड़ग हस्त धारी /
राजित नर केसरी ,है तुरग की सवारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,,
प्रजापाल ,शीलपाल ,जय गौ हितकारी /
दुष्ट दलन ,कष्ट हरन ,जन जन सुखकारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,
पराक्रमी ,धीर ,महावीर ,धरमधारी /
तेजपुञ्ज ,साहसी ,अनंत ,अविकारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,,
लीला अपार ,करुणामय तुम्हारी /
भारशिव दिवाकर ,सुधि लीजियो हमारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,,
धूप ,दीप ,मेवा ,सब अर्पण शुभकारी /
अभय करो ,अर्ज करें ,तुमसे नर नारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,
श्रृद्धा ,विश्वास सहित ,आरती उतारी /
मोरी सुधारो ,जस सबकी सुधारी // जय जय वीर सुहेलदेव ,,,,,,,,

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